उत्तर प्रदेश के जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने हाल ही में मुस्लिम समाज में बेटियों के बढ़ते भटकाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि कुछ बेटियां अपने घर-परिवार और मजहब से दूर होकर अन्य धर्मों की ओर रुझान कर रही हैं, जो पूरे समाज के लिए चेतावनी की तरह है.
मौलाना गोरा ने गुरुवार (11 दिसंबर) को जारी किए गए वीडियो संदेश में स्पष्ट किया कि समाज में इस मसले पर तरह-तरह की बातें होती रहती हैं. कुछ लोग इसे ज्यादा तालीम का असर बताते हैं, जबकि कुछ ज्यादा आजादी को कारण मानते हैं. लेकिन उनका कहना है कि असल वजह यह नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि घर में इस्लामी तालीम का कम होना और बच्चों की सही तर्बियत पर ध्यान न देना ही मूल कारण है.
बेटियों को तालीम देना असली खतरा नहीं- मौलाना कारी इसहाक गोरा
उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि परिवार बच्चे को दुनिया की पढ़ाई दिलाने में मेहनत करता है, लेकिन उनके संस्कार, नैतिक और धार्मिक माहौल पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज भाई बहन को समझाते समय अक्सर गुस्से में रहते हैं. यदि कोई केवल गुस्से से समझा सकता है, तो यह प्यार और हिकमत (बुद्धिमानी) की कमी को दर्शाता है.
मौलाना गोरा ने परिवारों को सलाह दी कि बेटियों को रोकना समाधान नहीं है. बल्कि उनके साथ दोस्ताना रिश्ता बनाना, उनकी बातें सुनना, भरोसा देना और सही तर्बियत करना ही सही तरीका है. उनका कहना था कि बेटियों को तालीम देना खतरा नहीं है, तर्बियत को छोड़ देना असली खतरा है.
घर का माहौल सुरक्षित और प्यार भरा होना चाहिए- गोरा
मौलाना गोरा ने मुस्लिम परिवारों से अपील की कि घर का माहौल सुरक्षित और प्यार भरा होना चाहिए. बच्चों को इज्जत और भरोसा महसूस होना चाहिए. साथ ही धार्मिक और नैतिक शिक्षा को फिर से परिवार की प्राथमिकता बनाया जाए. उन्होंने कहा कि जब घर की तर्बियत मजबूत होगी, तो कोई भी बाहरी ताकत बेटियों को गलत रास्ते पर नहीं ले जा पाएगी.
घर से दूर होकर अन्य धर्म अपना रही मुस्लिम बेटियां- गोरा
हाल के वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आई हैं कि कुछ लड़कियां घर से दूर होकर अन्य धर्म अपना रही हैं. सोशल मीडिया, दोस्ती, मोबाइल और बदलती जीवनशैली के कारण पारंपरिक परिवारों में यह चिंता और बढ़ गई है. कई धार्मिक संगठन मानते हैं कि घर में दी जाने वाली नैतिक, भावनात्मक और धार्मिक तर्बियत पहले जैसी मजबूत नहीं रह गई है.
मौलाना इसहाक गोरा का यह बयान परिवारों को जिम्मेदारी याद दिलाने के साथ समाज में बेटियों की सही तर्बियत और सुरक्षित माहौल बनाने का संदेश देता है, जिससे वे सही रास्ता स्वयं चुन सकें.
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