उत्तर प्रदेश के बस्ती जिलों में प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना (पीएमएमवीवाई) में एक बड़े पैमाने पर वित्तीय योजना का खुलासा हुआ है. इस जन कल्याणकारी योजना के तहत रजिस्ट्रीयों ने राशि में सेंधमारी कर 96 लाख रुपये से अधिक सरकारी धन 1000 से अधिक फर्जी बैंक खाते में जमा कर दिया. इस अनुसंधान विभाग के आंतरिक अल्ट्रासाउंड के दौरान, प्रशासन ने जिस पर हमला किया है.
प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना, गर्भवती महिलाओं और स्तन वाली महिलाओं को पोषण सहायता प्रदान करना केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण मंजूरी में शामिल है. इस योजना में हुए स्टार्स ने केवल लाखों रुपये के गैबन को शामिल किया है, बल्कि डिजिटल इंडिया के तहत आने वाले डायरेक्ट बेनिट लिस्ट (डीबीटी) सिस्टम की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
क्या है पूरा मामला?
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि फर्जी निवेशकों में राशि जमा करने की योजना सु नियोजित थी. आईसीडीएस विभाग के आंतरिक शेयरों में खरीदारी की सूची और उनके बैंक खातों के लाइसेंस में भारी स्टॉक जमा हो गया. डीसीडी ट्रिपल ने बताया कि एक ही आईपी एड्रेस या सिस्टम से बड़ी संख्या में राजेश ने ड्रोन के डेटा अपलोड किए थे, जो स्पष्ट रूप से किसी गिरोह की ओर इशारा करते हैं.
बड़े साइबर फ्रॉड की साजिश में था गिरोह- विभाग
इन्वेस्टीगेशन का मानना है कि या तो यह किसी बड़े साइबर फ्रॉड गिरोह की साजिश है, या इसमें डिवाइन उपकरणों के उपकरण भी शामिल हैं. सरकारी धन को इस प्रकार के फर्जी दस्तावेज में भेजा जाता है, प्रशासन की ओर से अवकाश पर गंभीर प्रश्न है. प्रारंभिक जांच में 96 लाख रुपए के गैबन की पुष्टि हुई है, और जिले के सदर ब्लॉक में सबसे अधिक सिक्के पाए गए हैं.
मामले की जांच के लिए जांच समिति का गठन
मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर मामले की चयन प्रक्रिया को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है. तीन वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने इस पूरे मामले की फुल-ड्राई जांच पड़ताल की. समिति को पता चला है कि किस स्तर पर घोटाला हुआ है, इसमें केवल टेक्निकल साइबर फ्रॉड है, या डेवलेपमेंट भी शामिल है.
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