UPCL in Uttarakhand: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के लिए शॉर्ट टर्म बिजली खरीद पर लगाए गए 5 प्रतिशत के प्रतिबंध ने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है. उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी नए टैरिफ ऑर्डर में यह स्पष्ट किया गया है कि यूपीसीएल अब बाजार से केवल पांच प्रतिशत यानी अधिकतम 90 करोड़ यूनिट बिजली ही खरीद सकेगा. जबकि अब तक निगम हर वर्ष औसतन 20 प्रतिशत बिजली शॉर्ट टर्म बाजार, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और शॉर्ट टर्म टेंडरों के जरिए खरीदता रहा है.

यूपीसीएल वर्ष 2024-25 में कुल 1804.6 करोड़ यूनिट बिजली आपूर्ति करेगा. इस आपूर्ति का अधिकांश हिस्सा करीब 80 प्रतिशत राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं, केंद्रीय पूल, दीर्घकालीन और लघु अवधि के समझौतों से आता है. शेष 20 प्रतिशत की पूर्ति शॉर्ट टर्म सौदों से होती है. लेकिन अब नियामक आयोग ने यह सीमा घटाकर महज पांच प्रतिशत कर दी है, जिससे निगम को शेष 15 प्रतिशत यानी करीब 270 करोड़ यूनिट बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी.

पिछले वर्षों में शॉर्ट टर्म बिजली खरीद के आंकड़े

  • 2022-23- 272.26 करोड़ यूनिट
  • 2023-24- 360.56 करोड़ यूनिट
  • 2024-25 (दिसंबर तक)- 230.39 करोड़ यूनिट

इस वर्ष के लिए यूपीसीएल ने शॉर्ट टर्म के तहत 261.29 करोड़ यूनिट बिजली की जरूरत जताई थी, जबकि अगले वर्षों में यह आवश्यकता और बढ़ने की संभावना है.

  • 2025-26- 261.29 करोड़ यूनिट
  • 2026-27- 308.29 करोड़ यूनिट
  • 2027-28- 372.53 करोड़ यूनिट

नए निर्देशों से बढ़ी मुश्किलेंनियामक आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि यूपीसीएल को अतिरिक्त बिजली की जरूरत हो तो वह 25 वर्षों के दीर्घकालीन पीपीए (पावर परचेज एग्रीमेंट) या कम से कम 10 वर्षों के लघु अवधि टेंडरों के माध्यम से ही बिजली खरीदे. लेकिन व्यवहार में यह इतना आसान नहीं है.

यूपीसीएल के निदेशक (परियोजना) अजय कुमार अग्रवाल ने हाल ही में जनसुनवाई में जानकारी दी थी कि निगम ने अब तक नौ बार दीर्घकालीन बिजली खरीद के लिए टेंडर निकाले, लेकिन किसी भी निजी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई. वहीं, लघु अवधि के लिए भी कंपनियां सहयोग करने को तैयार नहीं हैं. वर्तमान में केवल 200 मेगावाट की एक सौर ऊर्जा परियोजना का पीपीए हो पाया है, जो कि टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (THDC) के पीएसपी प्रोजेक्ट के अंतर्गत है.

UPCL संकट से बचने के लिए करने होंगे वैकल्पिक उपायों की तलाशइस स्थिति में अगर गर्मियों या पिक डिमांड के समय बिजली की मांग अचानक बढ़ जाती है, तो यूपीसीएल के पास तत्काल बिजली खरीदने का विकल्प सीमित रह जाएगा. इससे राज्य में बिजली संकट की स्थिति बन सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि शॉर्ट टर्म खरीद पर प्रतिबंध लगाना भले ही नियामक की दृष्टि से उचित हो, लेकिन जब तक दीर्घकालीन स्रोत सुनिश्चित नहीं होते, यह निर्णय व्यवहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण बन सकता है.

अब यूपीसीएल इस संकट से उबरने के लिए वैकल्पिक उपायों की तलाश कर रहा है. निगम का प्रयास है कि निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए पीपीए की शर्तों को लचीला बनाया जाए और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अधिकाधिक दीर्घकालीन समझौते किए जाएं. साथ ही निगम यह भी सोच रहा है कि राज्य में स्वयं की उत्पादन क्षमता को कैसे बढ़ाया जाए.

UPCL बिजली आपूर्ति में आ रही है कठिनाईनियामक आयोग का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सस्ती और स्थायी बिजली आपूर्ति देना है, लेकिन जमीनी स्तर पर यूपीसीएल को दीर्घकालीन आपूर्ति सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि निगम किस प्रकार से इस नीति के बीच अपनी आपूर्ति व्यवस्था बनाए रखने में सफल होता है. अगर वैकल्पिक स्रोत समय पर नहीं जुटाए गए, तो आने वाले समय में प्रदेश को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है.

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