उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बिजली प्रबंधन को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ी पहल की है. मांग के सापेक्ष अधिक या कम बिजली लेने पर लगने वाले भारी जुर्माने से बचने के लिए निगम ने एक अत्याधुनिक ऑटोमैटिक डिमांड रिस्पांस सिस्टम (एडीआरएस) तैयार किया है. यह सिस्टम आईआईटी के विशेषज्ञों और युवाओं की मदद से विकसित किया गया है, जो राज्य के भीतर और बाहर बिजली के आवागमन की लाइव जानकारी उपलब्ध कराता है.

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अब तक यूपीसीएल के लिए रोजाना की अनुमानित मांग तय करना, बाजार से बिजली की उपलब्धता देखना और नेशनल ग्रिड से मिलने वाले आवंटन की निगरानी करना चुनौतीपूर्ण काम था. मांग और आपूर्ति में मामूली अंतर भी बिजली निगम पर भारी जुर्माने का बोझ डालता था, जिसका प्रभाव उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ता था. हर साल यह जुर्माना 200 करोड़ रुपये से अधिक हो जाता था.

रियल टाइम रीडिंग मिलेगी

नए सॉफ्टवेयर की सबसे खास बात यह है कि यह सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं की रियल टाइम रीडिंग देता है, जहां से बिजली राज्य में प्रवेश करती है या बाहर जाती है. स्क्रीन पर ग्राफ के रूप में बिजली की मांग, उपलब्धता और प्रवाह की पूरी तस्वीर साफ नजर आती है. यह पहली बार है जब किसी राज्य के बिजली निगम ने ऐसा लाइव डिमांड-रिस्पांस सिस्टम विकसित किया है.

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लोड मैनेजमेंट सिस्टम बेहतर होगा

यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय अग्रवाल के अनुसार, यह सिस्टम अचानक मांग बढ़ने पर मुख्यालय से ही लोड मैनेजमेंट के लिए बिजली काटने जैसी त्वरित कार्रवाई की सुविधा भी देता है. इससे न केवल ग्रिड सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखना भी आसान होगा.

नए एडीआरएस सिस्टम के लागू होने से यूपीसीएल को हर साल लगने वाला बड़ा जुर्माना लगभग समाप्त होने की उम्मीद है. इससे निगम के वित्तीय बोझ में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को भी अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा.