Lucknow News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत करते हुए साफ कर दिया कि अब खेती की तरक्की सिर्फ कागजों में नहीं, बल्कि धरातल पर दिखेगी. उन्होंने कहा कि अब वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ सीधे खेतों में जाएंगे और किसानों से संवाद करेंगे. इस अभियान का मकसद है लैब से लैंड तक की यात्रा पूरी करना और किसानों को आधुनिक खेती का सीधा लाभ देना.

यह विशेष अभियान 29 मई से 12 जून तक चलेगा, जिसमें कृषि वैज्ञानिक गांवों में जाकर बीज, मौसम, मिट्टी, सिंचाई और फसल के नए तरीकों की जानकारी किसानों को देंगे. मुख्यमंत्री ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के विजन का हिस्सा बताया और कहा कि खेती इसकी आधारशिला बनेगी. उन्होंने कहा कि आज खेती-किसानी मोदी सरकार के सबसे अहम एजेंडों में है.

यूपी में खेती का बड़ा स्कोप, बदल रही तस्वीर

सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पास देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 11% हिस्सा है, लेकिन यहां के किसान देश का 23% अनाज पैदा करते हैं. 2017 से पहले किसानों की हालत खराब थी उन्हें समय पर खाद नहीं मिलती थी, बीज के लिए परेशान होते थे, और गन्ने के भुगतान के लिए आंदोलन करते थे. लेकिन बीते 8 सालों में डबल इंजन सरकार ने 2.85 लाख करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान किया है, जो पिछली सरकारों के मुकाबले 72 हजार करोड़ रुपये अधिक है.

नई मिलें लग रही, किसान खुश हैं

मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले जहां चीनी मिलें बंद हो रही थीं, आज वहीं नई मिलों की मांग बढ़ रही है. किसानों की आय बढ़ रही है और वे आधुनिक बीज, तकनीक और नई योजनाओं से जुड़ रहे हैं. किसानों को एमएसपी पर बेहतर दाम मिल रहे हैं. पहले गेहूं का समर्थन मूल्य 1000 रुपये से भी कम था, अब 2425 रुपये मिल रहा है और बाजार में किसान 2800 रुपये तक बेच पा रहे हैं.

सिंचाई से लेकर विज्ञान केंद्र तक, तेजी से काम

राज्य सरकार ने सिंचाई की दिशा में भी तेजी से काम किया है. 23 लाख हेक्टेयर जमीन को अतिरिक्त सिंचाई सुविधा मिली है. सरयू नहर, अर्जुन सहायक और बाणसागर जैसी योजनाएं पूरी की गई हैं. किसानों को फ्री ट्यूबवेल कनेक्शन दिए गए हैं. इसके अलावा प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केंद्र खोले गए हैं, जिससे किसानों को नई तकनीक और बीज की जानकारी तेजी से मिल रही है.

क्लाइमेट चेंज से निपटने की तैयारी जरूरी

मुख्यमंत्री ने किसानों को चेताया कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. मानसून समय से पहले आ सकता है लेकिन बीच में सूखा भी पड़ सकता है. इसलिए वैज्ञानिक तरीके से फसल की प्लानिंग जरूरी है. उन्होंने कहा कि बीज की सही टाइमिंग पर बोआई से 30% तक उत्पादन में फर्क आ सकता है.

किसानों को मिले प्रमाणपत्र

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री किसान सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के तहत चिनहट, इटौंजा, बक्शी का तालाब के किसानों को प्रमाणपत्र भी दिए. इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह सहित कई मंत्री मौजूद रहे.

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक राज्य है. यहां की करीब 65% जनसंख्या खेती पर निर्भर है. गंगा, यमुना और घाघरा जैसी नदियों से सिंचित भूमि, सरकार की योजनाएं, और अब तकनीक का उपयोग मिलकर यूपी की खेती को बदलने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकते हैं. योगी सरकार की यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर बन सकती है.