Lucknow News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षा के मोर्चे पर एक ऐसा मॉडल खड़ा किया है, जो गरीबी और गाँव की सीमाएँ तोड़ कर हजारों बच्‍चों को आगे बढ़ने का रास्‍ता दे रहा है. जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय योजना के तहत 2025‑26 से राज्‍य में 9 नए रेजिडेंशियल स्‍कूल शुरू होंगे. 

इससे कुल विद्यालयों की संख्‍या 109 पहुंच जाएगी और लगभग 2000 नए बच्‍चों को मुफ्त, गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा व आवास मिलेगा. 2018‑19 में जहां 32429 छात्र‑छात्राएं इन विद्यालयों में पढ़ रहे थे, वहीं 2025‑26 में यह आंकड़ा करीब 37000 तक पहुँचने वाला है. यानी बीते सात बरस में 4500 से ज्यादा गरीब बच्‍चों ने इस प्‍लेटफॉर्म से नई उड़ान भरी.

गाँव के बच्‍चों के लिए स्कूलों में हाई‑टेक पढ़ाई

इन स्‍कूलों की खासियत यह है कि 85 फीसद सीटें गाँवों से आने वाले बच्‍चों के लिए आरक्षित हैं. स्‍मार्ट क्‍लास, कंप्‍यूटर लैब, साइंस लैब, लाइब्रेरी, सीसीटीवी, टैबलेट और एयरो‑मॉडलिंग तक की सुविधा बच्‍चों को बड़े शहरों जैसे मौके देती हैं. सरकारी खर्च पर यूनिफॉर्म, किताबें, हॉस्‍टल, भोजन और प्रतियोगी परीक्षाओं (NEET, JEE, CUET) की कोचिंग भी मुहैया कराई जाती है ताकि पैसों की कमी किसी का भविष्‍य न रोके.

प्रवेश प्रक्रिया में 60 फीसद सीटें SC‑ST, 25 फीसद OBC और 15 फीसद सामान्‍य वर्ग के लिए तय हैं. इस संतुलन से समाज के हर हिस्‍से को बराबरी का अवसर मिलता है. सर्वे बताते हैं कि ज्यादातर छात्र ऐसे परिवारों से आते हैं जहाँ वार्षिक आय दो लाख रुपये से कम है. यही वजह है कि योजना को सामाजिक न्‍याय की नई इबारत माना जा रहा है.

1990 के दशक की परिकल्‍पना, 2020 के बाद रफ्तार

सर्वोदय विद्यालयों की शुरुआत 1991 में समाज कल्‍याण विभाग ने जेपी नारायण के आदर्शों पर की थी. शुरुआती दशकों में संसाधनों और राजकीय प्राथमिकता की कमी से योजना सुस्त पड़ी रही. 2017 में योगी आदित्‍यनाथ के सत्‍ता संभालते ही इसे “मिशन मोड” में लिया गया. हर बजट में आवंटन बढ़ा, पुराने भवनों का पुनरोद्धार हुआ और नई भर्ती से स्‍कूलों को पूरा स्‍टाफ मिला. केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति‑2020 में गुणवत्‍तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा का जोर मिलने से राज्‍य सरकार को भी योजना विस्‍तार का आधार मिला.

मिर्जापुर के मड़िहान स्‍कूल की 12 छात्राओं ने इस साल NEET (UG) क्‍लीयर किया. ये सभी बच्‍चियाँ SC, ST या OBC पृष्‍ठभूमि की हैं. इससे साफ है कि मुफ्त आवासीय शिक्षा सही मार्गदर्शन दे तो आर्थिक‑सामाजिक बाधाएँ भी गिर जाती हैं.

इन जिलों में हैं नए परिसर निर्माणाधीन

समाज कल्‍याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत के मुताबिक, मथुरा, बलिया, पीलीभीत, गोंडा, कानपुर देहात, अमरोहा, महाराजगंज, अंबेडकरनगर और मैनपुरी जिलों में नए परिसर निर्माणाधीन हैं. सरकार का लक्ष्‍य अगले दो वर्षों में सभी 75 जिलों को कम से कम एक सर्वोदय विद्यालय से कवर करना है, ताकि “कोई भी होनहार बच्‍चा दूरी या धन के अभाव में पीछे न रहे.”

योगी सरकार का यह मॉडल सही मायनों में “सबका साथ, सबका विकास” को जमीन पर उतारता दिख रहा है. अब जब डिजिटल संसाधन गांव‑कस्‍बों तक पहुँच रहे हैं, सर्वोदय विद्यालय उन हाथों में भविष्‍य की कुंजी दे रहे हैं, जहां कल तक मौकों की किल्लत थी.