Saharanpur News: मशहूर देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक़ गोरा ने एक वीडियो बयान जारी कर मुस्लिम समाज में शादियों के मौके पर शरीअत के खुले तौर पर हो रहे तजावुज़ात (उल्लंघन) और बेहिजाबी (बिना पर्दे का मेलजोल) पर गहरी तश्वीश (चिंता) और नाराजगी का इज़हार किया है.
मौलाना ने कहा कि आज के दौर में मुस्लिम शादियाँ दिखावे, रस्मों और दुनियावी तशहीर (प्रदर्शन) का मज़हर (प्रतीक) बन चुकी हैं. उन्होंने आज के दौर पर अफसोस का इजहार करते हुए कई बयान दिया है.
शादी समारोह को लेकर दिया बड़ा बयान'अब हाल ये है कि शादी-ब्याह के मौके पर मर्दों और खवातीन (महिलाओं) को बिना पर्दा एक ही पंडाल में बिठाया दिया जाता है, जहां न हिजाब (परदे) की कोई तदबीर (व्यवस्था) होती है और ना ही शरीअत के अहकामों (आदेशों) का कोई लिहाज (सम्मान) किया जाता है. गैर-मेहरम मर्द और औरतें बिना हिजाब एक साथ बैठते हैं, एक साथ खाना खाते हुए दिखाई देते हैं और बेधड़क गुफ्तगू (बातचीत) करते हैं. क्या ये शरीअत की सरासर मुखालिफत (खुलेआम विरोध) नहीं है?'
मौलाना ने कहा कि ऐसी फुजूल और नामाकूल (अनुचित) रिवायतें अब हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी हैं, और यह इस बात की अलामत है कि मुसलमान अब महज नाम के मुसलमान रह गए हैं. उन्होंने कहा कि 'हमारी ज़िंदगी से दीन की रूह (आत्मा) निकल चुकी है. अब न हया (शर्म) बची है, न तहजीब (संस्कार), और न ही इस्लामी शऊर (धार्मिक चेतना).' मौलाना ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उलमा-ए-हक हमेशा से इन रस्मों को नाजायज करार देते आए हैं. उन्होंने याद दिलाया कि 'दारुल उलूम देवबंद जैसे अजीम और मुअतबर इदारे ने भी इस सिलसिले में स्पष्ट फतवा दिया था कि शादियों में मर्दों और औरतों का बेहिजाब मेलजोल शरीअत के सख्त खिलाफ है.' मौलाना कारी इसहाक़ गोरा ने कहा कि औरत के लिए पर्दा और मर्द के लिए निगाहों की हिफाजत इस्लाम की बुनियादी तालीम (मूल शिक्षा) है.
गौरा ने लोगों दीन के सही रास्ते पर चलने के दी सलाहउन्होंने कहा कि 'इस्लामी तहज़ीब की बुनियाद हया, अदब और पर्दा है, लेकिन आज ये सब बातें रस्म की चादर ओढ़े हुए मजाक बनकर रह गई हैं. हमें अपने मुआशरे को इस खलल (विकृति) से निजात दिलानी होगी.' बयान के आखिर में मौलाना ने रूहानी लहजे में दुआ की 'या अल्लाह! हमें दीन की सही समझ अता फरमा और उस पर अमल करने की तौफीक बख़्श. हमारी नस्लों को हया, तहजीब और इस्लामी शऊर से मालामाल फरमा.'
मौलाना कारी इसहाक गोरा का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, और बड़ी तादाद में लोगों ने इसे मुस्लिम मुआशरे के लिए आंखें खोलने वाला पैगाम करार दिया है. बहुत से लोगों ने इस बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि वक्त आ गया है जब हमें अपनी रस्मों को शरीयत के तराजू पर तौलना चाहिए.