Bikru Kaand News: प्रयागराज से इस वक़्त की बड़ी खबर आ रही है. चर्चित बिकरू कांड में फंसे चौबेपुर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनकी दूसरी जमानत अर्जी को मंजूरी दे दी है, हालांकि यह जमानत सशर्त दी गई है.
8 जुलाई 2020 को हुए बिकरू कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, जब कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. इस भीषण हमले में कुल 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जिनमें डीएसपी, थानेदार और सिपाही शामिल थे.
चौबेपुर थाना प्रभारी निरीक्षक पर थे गंभीर आरोपइसी मामले में चौबेपुर थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक विनय तिवारी पर गंभीर आरोप लगे थे. उन पर आरोप था कि उन्होंने विकास दुबे को पुलिस की दबिश की जानकारी पहले ही लीक कर दी थी. उसी सूचना के आधार पर विकास दुबे ने अपने घर पर पूरी तैयारी के साथ पुलिस पर घात लगाकर हमला किया.
विनय तिवारी 8 जुलाई 2020 से जेल में बंद हैं. इससे पहले उनकी पहली जमानत याचिका 21 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी. लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने उनकी दूसरी जमानत अर्जी को सशर्त स्वीकार कर लिया है.
ठोस सबूत पेश न होने पर मिली जमानतकोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि विनय तिवारी के खिलाफ अब तक ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका है जिससे यह सिद्ध हो कि उन्होंने जानबूझकर विकास दुबे को छापे की सूचना दी थी. साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया कि इस केस में अभियोजन पक्ष द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद ट्रायल शुरू होने में दो साल से ज्यादा का समय लग गया है.
मामले में कुल 102 गवाहों में से अब तक सिर्फ 13 गवाहों का ही परीक्षण हो पाया है. जबकि इसी केस में गुड्डन त्रिवेदी सहित कई अन्य आरोपी पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर की है. गौरतलब है कि बिकरू कांड ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे. इस कांड के बाद यूपी पुलिस और एसटीएफ की कई टीमों ने मिलकर विकास दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार किया था, जिसे बाद में कानपुर लाते समय एनकाउंटर में मार गिराया गया था.