UP News: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री का नाम लिए बिना बिजली संकट का मसला उठाते हुए कहा कि सरकार समस्या का कारण बताने के लिए नहीं, निवारण के लिए होती है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने शनिवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा कुछ विद्युत उत्पादन इकाइयों के तकनीकी कारणों से बंद किये जाने की सूचना ट्विटर पर दिये जाने का अंश संलग्न करते हुए एक ट्वीट किया है.


'सरकार समस्या का कारण बताने के लिए नहीं, निवारण के लिए होती है'


इस ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘सरकार समस्या का कारण बताने के लिए नहीं, निवारण के लिए होती है.’’ शर्मा ने एक दिन पहले ट्वीट किया था कि यूपी की कुछ विद्युत उत्पादन इकाइयां तकनीकी कारणों से कई सप्ताह से बंद हैं, जिनमें हरदुआगंज-660 मेगावाट, मेजा-660 मेगावाट और बारा-660 मेगावाट शामिल हैं. 


इसके बाद सपा प्रमुख ने तंज करते हुए कहा कि सरकार समस्या का कारण बताने के लिए नहीं, निवारण के लिए होती है. शुक्रवार को भी अखिलेश यादव ने बिजली संकट को लेकर एक बयान में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भीषण गर्मी के बीच अघोषित बिजली कटौती से प्रदेश की जनता झुलस रही है.


''गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ी है''


यादव ने कहा कि पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं और गर्मी बढ़ने के साथ बिजली संकट गहराता जा रहा है. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने शुक्रवार को यह भी ट्वीट किया कि ''गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ी है. वहीं, कई बिजली उपक्रम तकनीकी कारणों से हफ्तों से बंद हैं. ऐसे में बिजली की बचत का सभी प्रयास करें. हमारे विद्युत कर्मी निर्बाध आपूर्ति के लिए रातदिन अपने कार्य में लगे हैं. सहयोग प्रार्थनीय है.''


शर्मा ने विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से अनुरोध किया कि इस चुनौतीपूर्ण घड़ी में अपने कार्य पर 24 घंटे सजग रहें और जन शिकायतों पर ध्यान दें. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बिजली विभाग की समीक्षा बैठक की थी और निर्देश दिया था कि रोस्टर के अनुसार निर्बाध बिजली आपूर्ति की जाए.


कुल 5820 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा


योगी ने कहा कि निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था की जाए और ट्रांसफार्मर खराब होने या बिजली के तारों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में समस्या का तुरंत समाधान किया जाना चाहिए. एक विभागीय अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 22000 मेगावाट बिजली की मांग है जबकि आपूर्ति 19000 मेगावाट के आसपास है.


इसकी वजह से गांवों और कस्बों में बिजली कटौती की जा रही है. ऊर्जा विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में ग्रामीण इलाकों में निर्धारित 18 घंटे के सापेक्ष औसतन 15 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है. इसी तरह कस्बों में निर्धारित 21 घंटे 30 मिनट के सापेक्ष औसतन 19 घंटे 3 मिनट और तहसील मुख्यालयों में 21 घंटे 30 मिनट के सापेक्ष औसतन 19 घंटे 50 मिनट बिजली की आपूर्ति की जा रही है. हालांकि जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है. उत्तर प्रदेश में इस वक्त कुल 5820 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. बाकी बिजली खरीदी जा रही है.


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