भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2026 अकेले लड़ने का फैसला किया है. हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है इस फैसले से समाजावादी पार्टी के साथ उसकी दोस्ती नहीं टूटेगी. सूत्र ने महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह से वहां महायुति के तीनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, वह यहां भी हो सकता है. 

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सूत्रों के अनुसार कांग्रेस आगामी पंचायत चुनाव इसलिए अकेले लड़ने जा रही है क्योंकि वर्ष 2027 के चुनाव में उसे अपनी जमीन अभी से तैयार करनी है. पार्टी का मानना है कि वह जब वर्ष 2026 का पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी तभी उसके जनाधार के साथ-साथ संगठन की मजबूती पर भी काम होगा.

कांग्रेस की कोशिश है कि 75 जिला पंचायतों समेत सभी नगर पंचायतों में अकेले चुनाव लड़कर वह विधानसभा की भी तैयारी करे. जो प्रत्याशी अच्छा प्रदर्शन करेंगे पार्टी उन्हें वर्ष 2027 के चुनाव में टिकट दे सकती है.

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क्या बोले अजय राय?

इस संबंध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान पंचायत चुनाव को लेकर कहा कि - कांग्रेस पार्टी यूपी पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी और इसी पंचायत चुनाव परिणाम के आधार पर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को आगामी 2027 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट प्रदान किया जाएगा.

अब सवाल है कि क्या है दोस्ती टूट जाएगी? इस बारे में भी अजय राय ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी. गठबंधन वाले सवाल पर अजय राय ने स्पष्ट किया किया कि यह राष्ट्रीय नेतृत्व का काम है. हम फिलहाल उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा सीट पर संगठन सृजन का कार्य कर रहे हैं . हम 403 विधानसभा सीटों की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन गठबंधन पर फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को लेना है.

बता दें वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 399 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसके खाते में 2 सीटें आईं थीं. 387 सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को कुल 2.33% वोट मिले थे. अब पंचायत चुनाव में अकेले उतरने के जरिए कांग्रेस, जमीनी अंदाजा लगाना चाह रही है. 

यूपी में कांग्रेस का यह भी है प्लान!

जानकारों की मानें तो 403 सीटों पर तैयारी कर रही कांग्रेस की योजना यह भी है कि अगर पार्टी पंचायत चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो वह समाजवादी पार्टी पर ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए दबाव बना सकती है. कांग्रेस वर्ष 2017 में सपा के साथ चुनाव लड़ चुकी है हालांकि दोनों के लिए यह अनुभव ठीक नहीं रहा था. 

वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और सपा के लिए परिणाम सभी मायनों में सुखद रहे एवं दोनों गठबंधन 43 सीटें जीतकर बीजेपी को केंद्र में बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने से रोकने में कामयाब रहे.