UP Politics: 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा जातीय जनगणना के रास्ते सियासी सफर पर चल पड़ी है. लखीमपुर में 2 दिन तक हुए गहन मंथन के बाद समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति पूरी तरह से तय कर ली है. सपा ने बूथ और सेक्टर प्रभारियों से सीधे संपर्क में रहने का संकल्प लिया है. तो वहीं मिशन 2024 के लिए प्रतिमा, प्रतीक और प्रशिक्षण का सहारा भी लेने का मन बनाया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखीमपुर में कार्यक्रम के दौरान सपा नेता धीरेंद्र बहादुर सिंह, चौधरी यशपाल सिंह और डॉ. कौशल किशोर की प्रतिमा का अनावरण किया.

समाजवादी पार्टी लोक जागरण यात्रा के जरिए सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना की आवाज को बुलंद करेगी. लखीमपुर की तरह अब हर जिले में लोक जागरण यात्रा निकालने की तैयारी है. सपा पिछड़े व दलित वोट बैंक की लामबंदी में जुट गई है. सपा अपने शिविरों का आयोजन ऐसी जगहों पर करेगी जहां के प्रतीकों के जरिए पूरे प्रदेश में संदेश जा सके. पार्टी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को शीर्ष नेतृत्व से जोड़े रखने की रणनीति पर काम कर रही है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद किसी न किसी रूप में बूथ प्रभारियों के संपर्क में रहेंगे.

सपा की इस रणनीति को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि लंबे अरसे से समाजवादियों ने जातीय जनगणना की बात की है. 1931 में देश में जातीय जनगणना हुई थी. उस को आधार मानकर आज भी काम हो रहा. पार्लियामेंट में डॉ. राम मनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह और देश के विभिन्न नेताओं ने पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना की बात कही थी. कांग्रेस की सरकार ने भी कहा था हम जातीय जनगणना कराएंगे लेकिन नहीं कराई. 

मनमोहन सरकार में एक बार जातीय जनगणना हुई लेकिन उसका आंकड़ा पेश नहीं किया गया. अखिलेश यादव ने लोकसभा में और प्रो. रामगोपाल ने राज्यसभा में ये मामला उठाया था. आज विधानसभा से लेकर लोकसभा तक सभी जगह सपा इस मुद्दे को उठा रही. चुनाव में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, बीजेपी की वादाखिलाफी, किसान की समस्या के साथ सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना बड़ा मुद्दा है.

कार्यकर्ताओं को कर रहे हैं प्रशिक्षित लखीमपुर के मंथन पर नरेश उत्तम पटेल ने कहा की लोक जागरण अभियान के तहत हम अपने बूथ के कार्यकर्ताओं, बूथ अध्यक्षों को प्रशिक्षित कर रहे हैं कि समाजवाद क्या है?, समाजवादी विचारधारा क्या है?, लोकतंत्र का महत्व क्या है? लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति क्या है? और बीजेपी सरकार की जो कार्यशैली है वह लोकतंत्र में कितनी गड़बड़ है. जो सरकार ने वादे किए वह कितने पूरे हुए? जनता को 10 साल में कितना मिला और अखिलेश यादव के कार्यकाल में क्या मिला इन दोनों में तुलना करें.

'अखिलेश यादव की लोकप्रियता बढ़ रही'जनता को मालूम हो जाएगा कि अखिलेश यादव ने बीजेपी से अच्छा काम किया है. इसलिए अखिलेश यादव की लोकप्रियता बढ़ रही, जिससे बीजेपी घबराई है. इनके नेता ऊलजलूल बयान दे रहे. हम तो विपक्ष के लोग हैं, जनता की बात को उठाते, जन समस्या उठाते, हमारी कोई व्यक्तिगत बात नहीं होती है. जब हम जन समस्या उठाते तो हमें पागल घोषित किया जाता है. एक इनका नेता कह रहा था कि इनका इलाज आगरा में करवा दो. यह कोई भाषा है. जिन्होंने संविधान की कसम खाई है तो कम से कम बोलने में मर्यादा रखें, तभी लोकतंत्र अच्छा होगा. अगर पक्ष और विपक्ष में संवाद नहीं होगा तो लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता.

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