BSP Chief Mayawati: बहुजन समाज पार्टी से भतीजे आकाश आनंद को निकालने के बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती के तेवर काफी बदले हुए दिखाई दे रहे हैं. इन दिनों वो बीजेपी के खिलाफ भी आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी के सियासी समीकरण को झटका लग सकता है. सपा मुखिया अखिलेश यादव 2027 के विधानसभा चुनाव में पीडीए समीकरण के दम पर बीजेपी को पटखनी देने की रणनीति बना रहे हैं लेकिन मायावती के मुस्लिमों को लेकर बीजेपी पर आक्रामक रवैया सपा के लिए गणित खराब कर सकता है. 

मायावती ने यूपी सरकार के बजट में किसानों, प्रदेश सरकार की आर्थिक नीतियों और मदरसों पर हो रही कार्रवाई समेत तमाम मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ आवाज को बुलंद किया और तीखे हमले बोलने में भी पीछे रही हैं. बीजेपी पर उनके तीखे हमलों ने कई सियासी पंडितों को चौंका दिया. भाजपा के खिलाफ उनके आक्रामक रुख से बीजेपी के साथ विपक्षी दलों के गठबंधन को भी नुक़सान हो सकता है. 

सपा की समीकरण खराब कर सकती हैं मायावतीसपा समेत तमाम पार्टियां अब तक मायावती को बीजेपी की बी टीम बताकर हमले बोलती रही है लेकिन अब मायावती जिस तरह से मुस्लिमों के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर रही हैं उससे सपा के पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) को नुक़सान हो सकता है. बसपा के साथ 'डी' यानी दलित तो पहले से ही हैं. 'ए' यानी अल्पसंख्यक मुस्लिम वोटरों में सेंध लग सकती हैं. 

माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में सपा ने अपने इसी समीकरण के सहारे भाजपा को करारा झटका दे दिया था. इस दौरान बड़ी संख्या में दलित और मुस्लिम वोटरों ने अखिेलेश यादव का वोट दिया और समाजवादी यूपी की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. अखिलेश यादव अब यही दांव 2027 में भी चलने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन अगर मायावती अपने पुराने तेवरों में लौटती हैं तो सपा की राह कठिन हो सकती है.