लखनऊ: कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच साथियों की मुठभेड़ में मौत की जांच कर रहे आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को सबूतों के अभाव में क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान की अगुवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज शशिकांत अग्रवाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता की सदस्यता वाले आयोग ने आठ महीने के बाद गत सोमवार को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की.


आयोग के सदस्य केएल गुप्ता ने बताया "हां, आयोग ने सोमवार को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. इसकी एक प्रति सुप्रीम कोर्ट को भी भेजी जाएगी." उन्होंने रिपोर्ट की सामग्री के बारे में कुछ प्रकट करने से मना कर दिया. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह इस सिलसिले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.


बहरहाल, सूत्रों के मुताबिक जांच आयोग को पुलिस के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया "समाचार पत्रों और अन्य मीडिया माध्यमों में विज्ञापन दिए जाने के बावजूद पुलिस के दावों को चुनौती देने के लिए कोई भी गवाह सामने नहीं आया. इसके अलावा मीडिया से जुड़ा कोई व्यक्ति भी बयान दर्ज कराने के लिए सामने नहीं आया." अफसर ने बताया कि पुलिस के बयान का समर्थन करने के लिए गवाह मौजूद थे.


सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं


गौरतलब है कि विकास दुबे और उसके पांच अन्य साथियों की कथित पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं. न्यायालय ने राज्य सरकार के गत 22 जुलाई को इन मुठभेड़ की जांच के लिए आयोग गठित करने के फैसले पर मुहर लगाई थी. कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र स्थित बिकरु गांव में पिछले साल दो/तीन जुलाई की दरमियानी रात को विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. अगले ही दिन पुलिस ने दुबे के दो साथियों प्रकाश पांडे और अतुल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था.


उसके बाद आठ जुलाई को ₹50000 के इनामी और विकास दुबे का साथी अमर दुबे भी हमीरपुर जिले के मौदहा क्षेत्र में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. पुलिस की इस कार्यवाही के सिलसिले में नौ जुलाई को प्रवीण दुबे उर्फ बउआ और प्रभात उर्फ कार्तिकेय क्रमशः इटावा और कानपुर जिलों में हुई पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे. पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने विकास दुबे को नौ जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किया था. अगली सुबह कानपुर लाते वक्त रास्ते में हुई कथित मुठभेड़ में विकास दुबे भी मारा गया था.


ये भी पढ़ें.


प्रयागराज: अंतिम संस्कार के लिए वसूली जा रही मुंहमांगी कीमत, प्रशासन पर मामले को नजरअंदाज करने का आरोप