UP Panchayat Election 2026: उत्तर प्रदेश में अगले साल जनवरी-फरवरी में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत स्तर के चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई है. चुनाव का मोर्चा खुलने से पहले ही एनडीए के सहयोगियों में बिखराव देखने को मिल रहा है. क्षेत्रीय दलों ने इन चुनावों के लिए अपने-अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. यूपी में एनडीए के तीन बड़े सहयोगी अपना दल एस, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और निषाद पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. ऐसे बीजेपी इन चुनाव में अकेले पड़ सकती है.
यूपी पंचायत चुनाव से पहले एनडीए के कुनबे में बिखराव दिखाई दे रहा है. केंद्रीय मंत्री और अपना दल एस की मुखिया अनुप्रिया पटेल ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव में अकेले लड़ेगी, उनकी गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं हुई है. ऐसे में जो पार्टी कार्यकर्ता चुनाव लड़ने चाहते हैं उन्हें पंचायत चुनाव में मौका दिया जाएगा और उनकी पार्टी 2026 में बीजेपी के विरोध में पूरे दमख़म के साथ उतरेगी. ये तब है जब अपना दल एस बीजेपी के सबसे विश्वस्त सहयोगी दलों में रही है.
बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा रहे सहयोगीदूसरी ओर ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी इसी राह पर है. इन दोनों दलों की ओर से भी साफ कर दिया गया है कि वो पंचायत चुनाव अकेले लड़ेंगे. रविवार को संजय निषाद ने पार्टी कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया कि हर बूथ पर निषाद पार्टी का झंडा लहराना है. एनडीए के सहयोगियों के इस फैसले को 2027 के चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. पंचायत चुनाव में इन दलों का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ सियासी मोल-भाव में उनकी भूमिका को तय करेगा. अगर ये दल अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो ज्यादा सीटों पर दावा ठोंक सकते हैं.
सहयोगी दलों की ये बेरुखी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं क्योंकि इन दलों के सहारे ही यूपी में बीजेपी ने ऐसा जातीय समीकरण तैयार किया है जो पार्टी की जीत का फॉर्मूला बन गया है लेकिन अगर ये सभी दल अलग होते तो इससे वोटों का बिखराव होगा और जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो सकती है. बीजेपी के सामने अब अपने प्रदर्शन को अच्छा करने की चुनौती होगी ताकि वो ये दिखा सके कि बिना सहयोगियों के भी उसकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है. अगर क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन कमजोर रहा तो वो बीजेपी के आगे झुकने को मजबूर होंगे.