यूपी में एक ओर जहां ग्रेटर नोएडा को हाईटेक और योजनाबद्ध शहर कहकर प्रचारित किया जाता है, वहीं दूसरी ओर हल्की सी बारिश ने ग्रेटर नोएडा नोएडा प्राधिकरण के दावों की सच्चाई उजागर कर दी है. बीते 24 घंटे की बारिश ने शहर की सड़कों को तालाब में तब्दील कर दिया, जिससे लोगों को घंटों ट्रैफिक जाम और जलभराव की स्थिति से जूझना पड़ा.

वहीं सेक्टर ज़ीटा के पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट अंडरपास में दर्जनों वाहन पानी में फंस गए. वाहन चालकों को जेसीबी और क्रेन की सहायता से वाहनों को बाहर निकाला गया. वहीं, कई लोग स्कूल और ऑफिस जाने के लिए अंडरपास में ही घंटों फंसे रहे. औद्योगिक क्षेत्र में नालियों की सफाई न होने के कारण सड़कों पर पानी भर गया, जिससे फैक्ट्रियों तक पहुंचना मुश्किल हो गया.

इन इलाकों में हालात बदतरग्रेटर नोएडा वेस्ट, सूरजपुर, तिलपता, कसना, डेल्टा, अल्फा, कुलेसरा और इंडस्ट्रियल एरिया जैसे क्षेत्रों में हालात और भी बदतर हैं. जलभराव के चलते स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सड़कों की हालत बद से बदतर हो चुकी है, और ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका है.

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण केवल कागजों पर योजनाएं बनाता है. करोड़ों रुपये के ड्रेनेज टेंडर तो जारी होते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता. एक राहगीर ने बताया कि उनकी कार अंडरपास में बंद हो गई और उन्हें खुद ही पुलिस को कॉल कर मदद लेनी पड़ी.

स्थानीय लोगों ने अधिकारियों पर लगाए आरोपनागरिकों ने आरोप लगाया कि अधिकारी एसी ऑफिसों में बैठकर काम करते हैं और जमीनी हालात देखने नहीं आते. अगर समय रहते प्राधिकरण ने नालों की सफाई करवाई होती और जल निकासी की व्यवस्था मजबूत की होती, तो यह दुर्दशा न होती.

अब सवाल यह है कि योगी सरकार और नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इस शहर को हर बारिश में डूबने से बचाने के लिए कब ठोस कदम उठाएंगे? या यों ही जनता परेशान होती रहेगी.