UP Nagar Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले के बाद ओबीसी दावेदारों (OBC) को जोर का झटका धीरे से लगा है. तमाम पार्टियों में ओबीसी दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद उनके हाथ मायूसी लगी है क्योंकि अब आरक्षण रहेगा या नहीं इस पर तस्वीर साफ होने में लंबा वक्त लग सकता है. इनमें सबसे ज्यादा झटका को मेयर सीट के ओबीसी दावेदारों को लगा है.



पांच दिसंबर को जब शासन से मेयर और चेयरमैन के आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी हुई तो लगा बस कभी भी चुनाव की तारीखों एलान हो सकता है. भाजपा, सपा, रालोद, बसपा और कांग्रेस सभी में दावेदारों की उम्मीद से ज्यादा भीड़ नजर आई. मेरठ में 16 नगर निकाय हैं जिनमें एक नगर निगम है. पार्टी कार्यालयों पर सुबह से शाम तक चहल पहल नजर आती थी, लेकिन आरक्षण का मामला कोर्ट चला गया और दावेदारों की धड़कनें बढ़ गई. हाईकोर्ट के आदेश ने उनकी सारी उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया. 


ओबीसी दावेदारों को लगा जबरदस्त झटका


पश्चिमी उत्तर प्रदेश मेरठ की मेयर सीट ओबीसी कोटे में चली गई लेकिन अभी फिलहाल को ये मामले हाथ से निकल गया है. ऐसे में दावेदारों की रातों की नींद उड़ गई है और उनमें खासी मायूसी देखने को मिल रही है. हालांकि विपक्षी दल इसके लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मेरठ के मेयर और चेयरमैन की दावेदारों की लिस्ट पर एक नजर डालें तो बीजेपी में मेयर सीट से दावेदारों की लिस्ट सबसे बड़ी थी.


- बीजेपी से अकेले मेयर सीट पर ही 42 दावेदार थे. इसमें मेरठ नगर निगम पार्षद, चेयरमैन के दावेदार जोड़े तो आंकड़ा 600 से ऊपर निकल जाता है. 


- बीएसपी में भी मेयर के 8 से ज्यादा लोगों ने दावा ठोंका और पार्षद व अन्य निकाय में 430 से ज्यादा आवेदन आए. 


- सपा से करीब 16 लोगों ने मेरठ मेयर सीट पर दावा ठोका और मेरठ नगर निगम के पार्षदों के लिए 600 से भी ज्यादा आवेदन आए.


- आरएलडी में भी मेयर सीट पर 13 से ज्यादा दावेदार आए और पार्षद व चेयरमैन सीट पर करीब 200 से ज्यादा आवेदन किए गए.


- कांग्रेस में मेयर के लिए 20, पार्षद व अन्य निकाय पर 400 आवेदन आए.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन सभी की तैयारियां धरी रह गई. अब यदि आरक्षण बदलता है तो उन्हें फिर से पूरी तैयारी करनी पड़ेगी और यदि नहीं बदलता है तो फिर भी तैयारी नए समीकरणों के हिसाब से करनी पड़ेगी. कुल मिलाकर कुछ सपने पूरे हो जाएंगे और कुछ के अरमान अधूरे रह जाएंगे.

ओबीसी कोटे में हर पार्टी में कई ऐसे दावेदार थे जो खुद का टिकट फाइनल मान रहे थे जबकि कुछ लखनऊ और दिल्ली के चक्कर काट रहे थे, लेकिन फिलहाल सभी के अरमानों पर पानी फिर गया है और अब एक लंबा इंतजार सभी के सामने है कि भविष्य में मेरठ की मेयर सीट पर क्या होगा. किसका सपना पूरा होगा और किसका अरमान अधूरा रह जाएगा. 


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