Varanasi News: ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati) के ब्रह्मलीन होने के बाद अब उनके उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) की ताजपोशी विवादों में घिर रही है. काशी विद्वत परिषद (Kashi Vidvat Parishad) में इसे लेकर दो फाड़ की स्थिति है. विद्वत परिषद के महामंत्री के तौर पर खुद को प्रस्तुत करने वाले कमलाकांत त्रिपाठी ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द का समर्थन किया तो वहीं दूसरे धड़े ने मामले पर कोर्ट का हवाला दिया और इसी बीच दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती अविमुक्तेश्वरनन्द के विरोध में बिगुल फूंक दिया है और पूरे देश मे इनके खिलाफ विद्वतसभा करने की बात कही है.


ज्योतिषपीठ शंकराचार्य पद को लेकर दो फाड़
वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सभागार में हो रही संतों की चर्चा का मुख्य बिंदु ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य को लेकर है. इस बैठक में काशी के विद्वतजनों को बुलाया गया और शंकराचार्य की योग्यता पर चर्चा हुई. उनके विरोधी ने ऐलान किया कि उनके खिलाफ पूरे देश मे मुहिम चलाई जाएगी. काशी  ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के पद को लेकर काशी विद्वत परिषद में दो फाड़ देखने को मिल रहा है. काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण वशिष्ट त्रिपाठी के अनुसार ये मामला कोर्ट में है और वो उसे लेकर कुछ नहीं कहेंगे. वहीं दूसरी तरफ विद्वत परिषद के महामंत्री के अनुसार पट्टाभिषेक हो चुका है. 


दरअसल, काशी के विवाद ने तब तूल पकड़ लिया जब खुद को विद्वत परिषद का महामंत्री बताने वाले ने स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द का समर्थन कर दिया. दूसरी ओर विद्वत परिषद के अध्यक्ष ने इनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया की चेतावनी दे डाली. इतना ही नहीं खुद को स्वामी स्वरूपानंद का शिष्य बताने वाले दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने भी अविमुक्तेश्वरनन्द के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया. अब अविमुक्तेश्वरानंद समर्थकों ने भी मोर्चा खोल दिया है.


सनातन सम्प्रदाय के सर्वोच्च पद के विवाद पर कोर्ट भी फैसला सुनाने वाला है. अब देखना ये होगा कि कोर्ट का फैसला क्या होता है इतना ही इस फैसले के साथ आम जनता और संतो की सहमति क्या होती है. 


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