UP News: यूपी के कौशांबी (Kaushambi) में पीएम केयर फंड (PM Care Fund) से जिला अस्पताल में लगे 10 वेंटिलेटर लाइट न होने पर बंद रहते हैं. ऐसे में अगर कोरोना का नया वैरिएंट बीएफ-7 का प्रकोप बढ़ा तो स्वास्थ्य विभाग को दिक्कतें होना लाजमी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग (Health Department) का दावा है कि कोरोना (Corona) के दोनों वेव में अस्पताल ने मरीजों का बेहतर इलाज कर जान बचाई गई थी. कोरोना से ग्रसित मरीजों को भरपूर ऑक्सीजन भी दी गई थी. आने वाले दिनों में भी कोरोना से लड़ने के लिए इंतजाम कर लिए गए हैं.


कौशांबी में लोगों की वेंटिलेटर के अभाव में मौत ना हो इसके लिए सांसद विनोद सोनकर ने सरकार से वेंटिलेटर की मांग की थी. सरकार ने पीएम केयर फंड से स्वास्थ्य महकमे को वेंटिलेटर उपलब्ध कराया था. शुरुआती दौर में वेंटिलेटर के रखरखाव के इंतजाम नहीं थे. ऐसे में वेंटिलेटर को कूड़े के ढेर सरीखे रखा गया था. एबीपी गंगा ने कोविड-19 के बढ़ते प्रभाव के चलते वर्ष 2020 में खबर को प्रमुखता से अपने चैनल में दिखाया था. नतीजतन वेंटिलेटर का रखरखाव बढ़िया कर दिया गया था. इसके बाद जब ऑक्सीजन प्लांट लगा तो फिर वेंटिलेटर का संचालन और भी अच्छे तरीके से शुरू हो गया.


तीसरी लहर के बाद दूसरे वार्ड में रखा गया वेंटिलेटर


कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए वेंटिलेटर को बच्चों की जान बचाने के लिए तैयार किया गया था. कोरोना की तीसरी लहर फीकी रही जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने 10 वेंटिलेटर को बच्चों के लिए आरक्षित पीकू वार्ड में लगवा दिया. लेकिन इन दिनों वेंटिलेटर की हाल फिर वैसा ही हो गया. लाइट ना होने पर सभी वेंटिलेटर नहीं चल रहे हैं. संयुक्त जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपक सेठ ने बताया कि कोरोना के पिछले दोनों वर्षों में हम लोगों ने मरीजों की काफी हद तक जान बचाई है. ऑक्सीजन भी लगाया गया था और बेहतर इलाज भी किया गया था. कोरोना की पहली और दूसरी वेब में पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध थीं.


य़े भी पढ़ें -


Uttarakhand Accidents: सड़क हादसों से भरा रहा साल 2022, पिछले 5 सालों में इस बार हुई ज्यादा मौतें