Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कई सवाल अभी सामने हैं. जैसे जो अभी तक सबूत सामने आए हैं, वह कोर्ट में टिकेंगे या नहीं, अदालती प्रक्रिया क्या होगी, निचली अदालत में कितने दिन लगेंगे. 1991 का वर्शिप एक्ट क्या कहता है? क्या वह बीच में आएगा? इन सब सवालों को लेकर हमनें रिटायर्ड जिला जज बी डी नकवी से बातचीत की. अलीगढ़ में रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज बी डी नकवी ने कहा कि जो सवाल उठा है कि ये फव्वारा है या शिवलिंग है. मैं समझता हूं कि यह बहुत ज्यादा टिकने वाली नहीं है. 

मामले में लगेगा समयनकवी ने आगे कहा, "अभी मैंने कई इंटरव्यू सुने और वहां जो कॉरिडोर बन रहा है, उसमें कई सीनियर लोगों ने यह कहा कि कॉरिडोर में जगह-जगह शिवलिंग देखे जाते थे और बहुत से मंदिर नष्ट किये गए. यहां तक कि इसका सवाल है एक पक्ष फव्वारा कहता है एक पक्ष शिवलिंग कहता है. इसका परीक्षण होगा. आईआईटी है या कोई भी ऐसी एजेंसी जो यह तय करेगी यह वाकई फव्वारा है या पुराना कोई पत्थर है जिसको हम शिवलिंग कह रहे हैं. या शिवलिंग कैसे पत्थर को कहेंगे. मैं नहीं समझता कि बहुत ज्यादा टिकने वाला है. जो मुख्य याचिका है वह तो राइट ऑफ वर्शिप का है कि हम लोग यहां पूजा करते थे और यह उसमें मंदिर में पूजा हो. तो वह ज्यादा कंटेस्ट की जाएगी कोर्ट के अंदर. कोर्ट यह तय कर ले कि साल भर में करना है. साल भर में कर लेगी. दो-तीन साल तो चाहिए किसी भी सिविल केस को तय करने के लिए एक अदालत को. यह एक इंपॉर्टेंट डिस्प्यूट है. इसमें थोड़ा सा टाइम लगेगा."

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क्या कहा 1991 एक्ट परवर्शिप एक्ट को लेकर उन्होंने कहा, "1991 का जो एक्ट है वह किसी भी रिलीजियस प्लेस के स्टेटस को चेंज करने में रुकावट है. बाबरी मस्जिद एक अपवाद था. उस पर 1991 एक्ट लागू नहीं होता था. इसलिए वह तय हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी डिस्प्यूट अदालत में नहीं उठाया जाएगा. मेरी राय में तो यह एक तरह का कंटेम्प्ट था माननीय सर्वोच्च न्यायालय का, लेकिन सम्मानित सुप्रीम कोर्ट इसका एग्जामिन कर चुका है. इसलिए उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया. यह कहना हमारी तरफ से प्रॉपर नहीं होगा यह कहना कि कंसेप्ट है. सुप्रीम कोर्ट एक तरह से उसको मॉनिटर कर रहा है. उसने लोअर कोर्ट को यह कहा है कि आप 8 हफ्ते में इस डिस्प्यूट को तय करें. जुलाई में इसकी सुनवाई शुरू होगी."

ऐतिहासिक तथ्य पर दूसरा राय देना गलतरिटायर्ड जज नकवी ने कहा, "अदालत को कार्यवाही करने के लिए जिसको हम सीपीसी कहते हैं. सीपीसी के हिसाब से ही सिविल कोर्ट अपना काम करती है. संज्ञान लेना है या क्या करना है. और खासकर जो टेक्निकल एविडेंस है यह शिवलिंग की बात है. वह एक्सपर्ट को भेजा जाएगा. एक्सपर्ट ऑपिनियन कोर्ट लेगा." 

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