Allahabad High Court News: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को हराकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से विधायक बनीं डॉ पल्लवी पटेल (Dr Pallavi Patel) की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने इस मामले में अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया. उम्मीद है कि हाईकोर्ट अगले हफ्ते इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा. पल्लवी पटेल को सिराथू सीट (Sirathu Seat) के रिटर्निंग आफिसर रहे सिराथू तहसील के एसडीएम ने नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था. पल्लवी ने इस नोटिस का जवाब दाखिल करने के बजाय इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई आज जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम डी चौहान की डिवीजन बेंच में हुई. अदालत में हुई सुनवाई के दौरान पल्लवी पटेल के साथ ही चुनाव आयोग के वकीलों ने भी अपनी दलीलें पेश कीं.

जानिए क्या है पूरा मामला

सिराथू के एसडीएम ने पल्लवी को इसी साल 18 और 25 मई के अलावा तीन जून को नोटिस देकर जवाब मांगा था. पल्लवी पटेल से नामांकन के दौरान कई तथ्य छिपाने व गलत जानकारी दिए जाने के आरोपों पर जवाब मांगा गया था. सुनवाई के दौरान पल्लवी पटेल की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि चुनाव की अधिसूचना खत्म होते ही निर्वाचन अधिकारी के अधिकार खत्म हो जाते हैं और उन्हें इस तरह के नोटिस जारी करने का कोई अधिकार नहीं रह जाता. कौशांबी जिले के रहने वाले दिलीप पटेल नाम के शख्स ने पल्लवी पटेल के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की थी.  

पल्लवी पटेल पर क्या है आरोप

पल्लवी सिंह पटेल कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर विधायक चुनी गई हैं. उन्होंने सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराकर चुनाव जीता था. पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज़ आपराधिक मुक़दमे की जानकारी छिपाने का आरोप है. आरोपों के मुताबिक पल्लवी पटेल और उनके पति के खिलाफ लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के जरिए फ्लैट हड़पने का मुकदमा गोमतीनगर थाने में दर्ज है. इसके अलावा कानपुर में भी पैतृक मकान हड़पने का वाद वहां की अदालत में चल रहा है. आरोप है कि बीते विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन फॉर्म के साथ दाखिल किए गए हलफनामे में उन्होंने ये जानकारियां छिपाई थीं. 

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दो दलों का प्रतिनिधित्व करने का आरोप

पल्लवी पर ये भी आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी मां को राज्यसभा का सांसद बनाने का प्रलोभन देकर परिवारिक संपत्ति हड़पने का प्रयास किया. चुनाव के दौरान चंदे में मिली रकम अपनी ससुराल जबलपुर भेजने की भी शिकायत की गई है. शिकायत में कहा गया था कि उन्होंने अपना दल कमेरा पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होते हुए समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुईं. इस तरह वर्तमान में वह दो दलों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं,जो निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है.  

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