UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने ज़ायद सीज़न की मूंग और मूंगफली फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ख़रीदनी शुरू कर दी हैं. राज्य के सभी 75 ज़िलों में मूंग और 15 ज़िलों में मूंगफली की ख़रीद 02 सितंबर और 29 अगस्त तक चलेगी. इस पहल से प्रदेश के लाखों लघु‑सीमांत किसानों की जेब में सीधा पैसा पहुँचेगा.
कितनी क़ीमत, कितना लक्ष्य
मूंग का एमएसपी: ₹ 8,682 प्रति क्विंटल
मूंगफली का एमएसपी: ₹ 6,783 प्रति क्विंटल
सरकार ने 34,720 मीट्रिक टन मूंग और 50,750 मीट्रिक टन मूंगफली ख़रीदने का लक्ष्य रखा है. काम दो केंद्रीय एजेंसियाँ सँभालेंगी- नेफ़ेड (NAFED) 24,304 टन मूंग व 35,525 टन मूंगफली उठाएगी, जबकि एनसीसीएफ (NCCF) 10,416 टन मूंग और 15,225 टन मूंगफली खरीदेगी. दोनों एजेंसियाँ “प्राइस सपोर्ट स्कीम” (पीएसएस) के तहत राज्य‑स्तरीय सहकारी समितियों व विपणन मंडियों के साथ मिलकर किसान से सीधी ख़रीद करेंगी.
हर किसान के लिए आसान प्रक्रियापंजीकरण: किसान को आधार, बैंक खाता और भूमि अभिलेख के साथ नामांकन कराना होगा.
क्रय केंद्र: हर ज़िले में कई केंद्र बन चुके हैं, ताकि किसान को ज़्यादा दूरी न तय करनी पड़े.
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भुगतान: गुणवत्ता जाँच और तौल के बाद 72 घंटों के भीतर राशि सीधे बैंक खाते में जाएगी.
क्यों अहम है यह खरीदभारत अपनी दाल और खाद्य तेल ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है. pulses‑oilseeds पर आत्मनिर्भरता के लिए केंद्र ने एमएसपी लगातार बढ़ाई है; सिर्फ़ 2024‑25 सीजन में मूंग का भाव 8,558 से बढ़कर 8,682 रु/क्विंटल कर दिया गया. ग्राउंडनट का एमएसपी भी 6,377 से बढ़कर 6,783 रु/क्विंटल हुआ.
पीएसएस और प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM‑AASHA) के तहत पिछले ग्यारह साल में दाल‑तिलहन की सरकारी ख़रीद में जबरदस्त 7,350 % बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
बड़े पैमाने पर ख़रीद से बाज़ार में न्यूनतम मूल्य की गारंटी मिलती है. इससे किसान बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहते और अगली फ़सल के लिए अधिक बीज व उर्वरक ख़रीद पाते हैं.
जिलावार ज़िम्मेदारीनेफ़ेड- मथुरा, अलीगढ़, आगरा, कानपुर नगर, गौतमबुद्ध नगर, झाँसी, वाराणसी, लखीमपुर खीरी समेत 55 ज़िलों में मूंग; मैनपुरी, हरदोई, इटावा में मूंगफली.
एनसीसीएफ- कानपुर देहात, प्रयागराज, रायबरेली, बुलंदशहर, चंदौली, बदायूँ, हापुड़ जैसे 19 ज़िलों में मूंग; फ़र्रुख़ाबाद, कासगंज, एटा, उन्नाव, श्रावस्ती जैसे 12 ज़िलों में मूंगफली.
किसानों को क्या फ़ायदा होगा?सीधी आय वृद्धि: तय तारीख़ तक फ़सल बेचने पर तुरंत भुगतान.
खर्च की भरपाई: एमएसपी लागत से कम‑से‑कम 50 % ऊपर तय है, जिससे लागत निकलते ही मुनाफ़ा पक्का.
फसल विविधीकरण: दाल‑तिलहन का भरोसेमंद बाज़ार मिलने से किसान गन्ना या धान पर एक‑तरफ़ा निर्भर नहीं रहते.