UP News: उत्तर प्रदेश सरकार 'एक तहसील एक उत्पाद' (One Tehsil One Product) के जरिये युवाओं को रोजगार और कारोबार मुहैया कराने जा रही है. जिस तरह सभी जिलों का कोई न कोई विशेष उत्पाद है, उसी तरह अधिकांश तहसीलें भी विशिष्ट उत्पाद के लिए जानी जाती हैं. घोसी तहसील के गोठा कस्बे का गुड़ हो या हरदोई (Hardoi) के संडीला का लड्डू. यूपी की अधिकांश तहसीलों या उसके किसी खास कस्बे का कोई उत्पाद उसकी पहचान है.


मसलन, गोरखपुर (Gorakhpur) के कैम्पियरगंज के रमचौरा के कच्चे केले की अपनी पहचान है. फरेंदा महराजगंज (Maharajganj) की हरी मटर की अपनी मिठास के नाते सीजन में पूरे क्षेत्र में धूम रहती है. प्रदेश के अधिकांश जिलों की तहसीलें या उनका कोई कस्बा अपने ऐसी ही किसी खूबी के नाते जाना जाता है.


ओडीओपी की शानदार सफलता के बाद नई योजना


उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो ओडीओपी की शानदार सफलता से उत्साहित सरकार अब एक तहसील एक उत्पाद योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है. ओडीओपी की तर्ज पर अगर इन उत्पादों की पैकेजिंग, डिजाइनिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग, जरूरत के अनुसार पूंजी की उपलब्धता और इनसे जुड़े लोगों के कौशल को निखारने के लिए प्रशिक्षण आदि की सुविधाएं उपलब्ध करा दिया जाए तो इनकी भी संभावनाएं ओडीओपी की तरह ही बढ़ जाएंगी.


समय के साथ इन उत्पादों के जरिए ब्रांड यूपी देश-दुनिया में और मजबूत होगा. एक तरीके से यह ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) का ही विस्तार होगा. इसीलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि ओडीओपी की तर्ज पर ओटीओपी यानी 'एक तहसील, एक उत्पाद योजना' भी शुरू की जाए.


एमएसएसई विभाग ने शुरू किया काम


मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार, एमएसएमई विभाग इस बाबत काम करने जा रहा है. पहले चरण में जिले के स्थानीय प्रशासन से मिलकर तहसीलवार ऐसे उत्पादों की सूची तैयार करेगा. किसी विशेषज्ञ संस्था के सहयोग से इनकी संभावनाओं और इन संभावनाओं को विस्तार देने के लिए जमीनी स्तर पर क्या किया जाना है, इसका पता करेगा.


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लोगों के रोजगार और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा

मालूम हो कि सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल में 24 जनवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश के पहले स्थापना दिवस की शुरुआत करते हुए ओडीओपी योजना लांच की थी। योजना के तहत चिन्हित उत्पादों को कीमत एवं गुणवत्ता में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इनसे जुड़े लोगों के कौशल विकास, उत्पादों की डिजाइन एवं पैकेजिंग, पूंजी की उपलब्धता में सहयोग किया गया। उसके बेहतर परिणाम सामने आए. एमएसएमई का निर्यात में जो वृद्धि हुई, उसमें सबसे बड़ा योगदान ओडीओपी का ही रहा. 


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