UP Nagar Nikay Chunav 2023: यूपी के कानपुर (Kanpur) में भारतीय जनता पार्टी ने प्रमिला पांडे को महापौर पद पर प्रत्याशी बनाया है, जिसके बाद से बीजेपी (BJP) की स्थानीय इकाई में दो दिग्गजों के बीच छिड़ी जंग फिर से सतह पर आ गई दिखती है. प्रमिला पांडे को महापौर पद का प्रत्याशी बनाए जाने से कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी नाराज हो गए हैं. हालांकि कैमरे पर आकर वह अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनका साफ कहना है कि वह प्रमिला पांडे को भारतीय जनता पार्टी का महापौर पद का प्रत्याशी बनाए जाने के पार्टी के फैसले से सहमत नहीं हैं, लेकिन पार्टी के फैसले का विरोध नहीं करेंगे. 

इस बीच सत्यदेव पचौरी एक बात पर फोकस कर रहे हैं और वह है भ्रष्टाचार. उनका कहना है कि वह भ्रष्टाचार के साथ नहीं है और इससे समझौता भी नहीं करेंगे. अब यहां बात विपक्षियों की कर ली जाए तो कानपुर नगर निगम में महापौर पद के लिए हो रहे चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रमुखता से उठा रही हैं. नगर निगम में तमाम समस्याएं और मुद्दे होने के बावजूद बीजेपी के प्रत्याशी को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सभी दल और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ दिग्गज भी संदेह के घेरे में खड़ा कर रहे हैं. 

प्रमिला पांडे ने की मुलाकातवहीं आज सत्यदेव पचौरी की नाराजगी को दूर करने के लिए प्रमिला पांडे उनके घर गुपचुप तरीके से पहुंचीं, लेकिन एबीपी गंगा की टीम को इसकी भनक पहले ही लग गई थी और एबीपी गंगा ने प्रमिला पांडे से सत्यदेव पचौरी के साथ हुई 15 मिनट की बैठक के बारे में जानना चाहा. इस बीच उन्होंने कहा कि उन्हें आशीर्वाद मिल गया है, लेकिन उनका चेहरा और बॉडी लैंग्वेज कुछ और ही बयां कर रहा था. हालांकि इस मामले में जब आधिकारिक रूप से सत्यदेव पचौरी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. 

सियासी पारा काफी गरमराजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी पचौरी ने भ्रष्टाचार से समझौता न करने की बात कहते हुए बड़ा इशारा दे दिया है. पचौरी की मानें तो पार्टी ने जो प्रत्याशी तय किया है उस पर उन्हें असहमति जरूर है और वह भ्रष्टाचार के साथ समझौता नहीं करने जा रहे. फिलहाल इसे लेकर कानपुर में सियासी पारा काफी गरम है और जानकार बता रहे हैं कि इससे भारतीय जनता पार्टी को नुकसान भी हो सकता है, क्योंकि समाजवादी पार्टी की मजबूत प्रत्याशी को देखकर बीजेपी ने जैसे ही आखरी वक्त में अपने प्रत्याशी को बदला, पार्टी के अंदरखाने सियासत शुरू हुई दिखती है. 

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