उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री और पूर्व एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की बीते 3 अक्टूबर को तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. उन्हें ब्रेन हेमरेज की शिकायत के बाद लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि आज (7 अक्टूबर) खुद मंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने समर्थकों को भरोसा दिलाया है कि वो जल्द पूरी तरह ठीक होकर लौटेंगे.

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सोशल मीडिया पर खुद दी जानकारी

अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद दिनेश प्रताप सिंह ने खुद एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर अपनी सेहत को लेकर अफवाहों को खत्म किया.

उन्होंने लिखा, “अपने प्रातःस्मरणीय शुभचिंतक भाइयों एवं बहनों से विनम्रतापूर्वक आग्रह है, मैं स्वस्थ ही नहीं, पूर्णतः स्वस्थ हूं. आप सब बिल्कुल चिंता न करें और किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें. यह बात सही है कि मुझे थोड़ा सा उपचार, वह भी शांतिपूर्ण वातावरण में आवश्यक था. इसलिए उपमुख्यमंत्री आदरणीय ब्रजेश पाठक अपनी देखरेख में मेरा उपचार करा रहे हैं. बस दो-चार दिन में फिर से उसी राजनीतिक अखाड़े में दो-दो हाथ करूंगा और आप सबकी सेवा में उपस्थित रहूंगा.”

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उन्होंने आगे लिखा, “बिहार में पार्टी की सरकार बनाने में अपना तन, मन और धन से योगदान दूंगा. आप सब साक्षी हैं कि कितने अभाव और विपत्तियों को मैंने साहस, धैर्य और विनम्रता से झेलकर यहाँ तक पहुँचा हूँ. आपकी दुआओं से ही यह संभव हुआ है. ये छोटी-मोटी बाधाएँ मेरी खुराक नहीं, बल्कि मेरे लिए नाश्ते के समान हैं."

अचानक बिगड़ी थी तबीयत 

3 अक्टूबर की रात दिनेश प्रताप सिंह नींद की दवा लेकर सोए थे. सब कुछ सामान्य था, लेकिन सुबह उठने पर उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत महसूस हुई. परिवार घबरा गया और तुरंत उन्हें 4 अक्टूबर को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया.

डॉक्टरों ने एमआरआई जांच में ब्रेन हेमरेज की पुष्टि की. बताया जा रहा है कि इसका असर उनके एक हाथ और एक पैर पर पड़ा है. डॉक्टर लगातार उनकी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और परिवार चिंतित लेकिन उम्मीद से भरा हुआ है.

संघर्षों से भरा रहा राजनीतिक सफर

दिनेश प्रताप सिंह का राजनीतिक जीवन संघर्ष और मेहनत की मिसाल रहा है. 2010 में वो पहली बार एमएलसी बने, फिर 2016 में दोबारा निर्वाचित हुए. 2018 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा और 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा.

2022 में वे फिर एमएलसी बने और 2024 में उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ भी मैदान संभाला. लगातार चुनावी दबाव और राजनीतिक तनाव ने उनकी जिंदगी को काफी व्यस्त बना दिया था.