उत्तर प्रदेश सरकार गरीब तबके को राहत देने के लिए मुफ्त राशन योजना चला रही है. लेकिन सरकार की मंशा जमीनी हकीकत से कितनी दूर है, यह महोबा शहर में साफ नजर आ रहा है.

यहां गरीबों को मुफ्त राशन देने के नाम पर कोटेदार खुलेआम अपनी जेब भरने में जुटे हैं. आलम यह है कि मुफ्त राशन पाने के लिए गरीबों को जबरन 100 रुपये खर्च कर साबुन, मसाला, टूथपेस्ट जैसी चीजें खरीदनी पड़ रही हैं. 

अतिरिक्त सामान न लेने पर राशन से वंचित

आपको बता दें कि शहर के नारूपुरा इलाके की दो सरकारी दुकानों पर यह खेल बेधड़क चल रहा है. लाभार्थियों का कहना है कि यदि वे सौ रुपये का पैकेट न लें तो उन्हें मुफ्त राशन से वंचित कर दिया जाता है.

शेखूनगर निवासी मालतीबाई बताती हैं कि उन्हें मुफ्त राशन तभी मिला जब पहले उन्होंने 100 रुपये देकर साबुन और मसाले खरीदे. बता दें यही हाल रामकली का भी है, जिन्हें मजबूरन सौ रुपये का सामान खरीदना पड़ा.

ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप

नयापुरा नैकाना की मीनू सोनी का आरोप और गंभीर है. उनका कहना है कि जब उन्होंने 100 रुपये देने से इनकार किया तो उनके हिस्से का राशन ही काट दिया गया. उन्हें तय अनाज से दो किलो कम और चावल से तीन किलो कम दिया गया. यानी गरीबों को राहत देने की जगह उन पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है.

पूर्ति निरीक्षक प्रवीण कुमार वर्मा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सफाई दी कि शासनादेश में कोटेदारों को 35 वस्तुएं रखने और बेचने की अनुमति जरूर दी गई है, लेकिन यह खरीद पूरी तरह स्वेच्छा पर आधारित है. उन्होंने माना कि यदि जबरदस्ती की शिकायत है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

अब सवाल यह है कि मुफ्त राशन की योजना आखिर गरीबों की जेब हल्की करने का नया जरिया तो नहीं बन गई? गरीब जिन्हें सरकार राहत देने का दावा कर रही है, वे कोटेदारों की मनमानी के शिकार हो रहे हैं. कहने को तो योजना गरीबों के लिए मुफ्त है, लेकिन असल में यह 100 रुपये का अनिवार्य पैकेज बन चुकी है. सरकार की नीयत भले साफ हो, पर जमीनी खेल गरीबों को महंगा पड़ रहा है.