महोबा जनपद में रुक-रुक कर हो रही बारिश अब कच्चे मकानों के लिए खतरा बनती जा रही है. बीती शाम और तड़के सुबह हुई बारिश के चलते जनपद के दो अलग-अलग स्थानों पर दो कच्चे मकान भरभराकर गिर गए.
इन हादसों में जहां एक अधेड़ की मलबे में दबकर दर्दनाक मौत हो गई, वहीं दूसरी घटना में पांच बकरियां दब गईं जिन्हें ग्रामीणों की तत्परता से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.
कच्चे मकान में सो रहे बुजुर्ग की दबकर मौतपहला हादसा चरखारी ब्लॉक के बसौठ गांव में हुआ, जहां 50 वर्षीय लल्लू राम कुशवाहा पुत्र हरिदास कुशवाहा अपने कच्चे मकान में रात में सो रहे थे. अचानक बारिश से पड़ोसी के मकान की दीवार गिरने से लल्लूराम का मकान कमजोर होकर भरभराकर गिर गया.
घटना की आवाज सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और खोजबीन शुरू की. मलबे को हटाने पर लल्लू राम का शव बरामद हुआ, जिससे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. बताया जाता है कि मृतक लल्लू राम मूलतः विजयपुर गांव के निवासी थे और पिछले 15 वर्षों से बसौठ गांव में रह रहे थे. हादसे में मकान पूरी तरह से धराशायी हो गया और घरेलू सामान भी क्षतिग्रस्त हो गया.
मलबे में दबी बकरियांदूसरी घटना जैतपुर विकासखंड के कस्बा क्षेत्र में हुई, जहां धनीराम कुशवाहा के मकान का एक हिस्सा तड़के सुबह गिर गया. मकान के मलबे में पांच बकरियां दब गईं. रामकुमारी बताती है कि मोहल्ले के लोगों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया और सभी बकरियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया.
हालांकि इस दौरान घर में रखा अनाज, भूसा व अन्य गृहस्थी का सामान मलबे में दबकर बर्बाद हो गया. सौभाग्यवश धनीराम कुशवाहा और उनका परिवार समय रहते मकान से बाहर निकल आया, जिससे बड़ी जनहानि होने से बच गई.
दोनों हादसों ने यह साफ कर दिया है कि बारिश के चलते जनपद के कच्चे मकान बेहद असुरक्षित हो चुके हैं. जरूरत है कि प्रशासन ऐसे कमजोर घरों को चिन्हित कर समय रहते कार्रवाई करे ताकि जान-माल के नुकसान को रोका जा सके. ग्रामीणों ने प्रशासन से सहायता की मांग की है.