महोबा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है. मामला तब खुला जब यह पता चला कि करीब एक हजार किलोमीटर दूर महाराष्ट्र का रहने वाला एक व्यक्ति महोबा जिले के किसान की कृषि भूमि का बीमा अपने नाम कराकर क्लेम वसूल चुका है. यही नहीं, मध्यप्रदेश के सागर जिले सहित अन्य राज्यों से आए जालसाजों ने भी किसानों की जमीन पर फर्जी बटाईदार बनकर दर्जनों बीमा करा लीं और लाखों रुपये का क्लेम हड़प लिया.

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जांच के दौरान हुआ खुलासा

आपको बता दें कि कबरई ब्लॉक के सिजवाहा गांव में जांच के दौरान पता चला कि सागर निवासी आर्यन राजपूत ने अकेले 65 बीमा पॉलिसियां करा कर 3 लाख 408 रुपये का क्लेम ले लिया. इसी तरह सागर जिले की दीप्ति ने 34 पॉलिसियां करा कर 3 लाख 37 हजार 748 रुपये, महाराष्ट्र निवासी जयसिंह ने 31 पॉलिसियों से 34 हजार 278 रुपये, सागर निवासी आरिफ सौदागर ने 32 पॉलिसियों से 33 हजार 357 रुपये और दुर्गाबाई ने 6 पॉलिसियों से 66 हजार 855 रुपये का क्लेम प्राप्त किया. 

यहां के रहने वाले किसान देवेंद्र ने बताया कि उसकी खुद की 72 बीघा जमीन का उसे बीमा लाभ नहीं मिल पाया है. जबकि उसने बीमा पॉलिसी कराते समय प्रीमियम भी जमा किया था लेकिन पता चला कि मध्य प्रदेश के सागर का एक चालाक व्यक्ति उसकी 72 बीघा जमीन का कृषि बीमा 84 हजार रुपए अपने खाते में ले चुका है जबकि उसे एक फूटी कोड़ी भी नहीं मिली है. जिसकी शिकायत उसने कृषि विभाग से की है वही गांव में ऐसे तमाम और भी किसान हैं जिनके साथ कृषि बीमा के नाम पर धोखाधड़ी हुई है.

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अब तक दर्ज हो चुके हैं इतने मामले

बता दें कि अब तक जिले के विभिन्न थानों में फर्जी कृषि बीमा मामले में 7 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें 30 नामजद आरोपी शामिल हैं. पुलिस 10 आरोपियों को जेल भी भेज चुकी है. वहीं बीमा कंपनी इफको-टोकियो के जिला प्रबंधक निखिल पर भी एफआईआर दर्ज की गई है. 

मगर अभी तक इनकी गिरफ्तारी न होने पर किसानों का आक्रोश और आंदोलन जारी है. किसान संगठन "जय जवान जय किसान" के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह राजपूत का कहना है कि बीमा कर्मचारियों की मिलीभगत और डाटा लीक के बिना इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नहीं है. उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की है.

क्या कहते हैं किसान नेता?

किसान नेताओं का कहना है कि उनका आंदोलन और मांगे तब तक जारी रहेगी जब तक इस प्रधानमंत्री फसल बीमा में घपला और घोटाला करने वाली बड़ी मछलियां पकड़ में नहीं आएगी. बुंदेलखंड के हरे चारे को महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के फर्जी किसान चर रहे हैं. 

वहीं उनका कहना है कि खेत हमारे, फसल हमारी, नुकसान भी हमारा और प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ कोई और ले गया है. हमें हमारा हक चाहिए चाहे इसके लिए जो लड़ाई आगे लड़नी पड़े. किसानों ने एसआईटी या फिर सीबीआई से इस मामले की जांच कराने की मांग की है.

उप कृषि निदेशक ने दी मामले पर क्या बताया?

इस मामले को उप कृषि  निदेशक राम सजीवन ने बताया कि जानकारी मिली कि अन्य राज्यों के लोगों ने सिजवाहा गांव के किसानों की बीमा राशि को फर्जी तरीके से हड़प लिया गया इस मामले में जांच कराई जा रही है जिसमें आगे कार्रवाई होगी.

यह घोटाला उजागर होने के बाद किसानों और किसान संगठनों में गहरी नाराजगी है. उनका आरोप है कि जिले के अन्य गांवों में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा हुआ है, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. इसलिए संगठन लगातार उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं.