उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक कानूनगो आलोक दुबे का डिमोशन करके उसे लेखपाल बना दिया गया है. कानूनगो होते हुए वो करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया. उसके पास 41 संपत्तियां होने की जानकारी मिली है, इस खुलासे के बाद जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के आदेश पर उसका डिमोशन कर दिया गया है,

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दरअसल ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन के रहने वाले संदीप सिंह नाम के व्यक्ति ने पिछले साल 2 दिसंबर को जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि सिंहपुर गांव की गाटा संख्या 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 की जमीन न्यायालय में विचाराधीन थी. इस पर ना तो वैधानिक अनुमति फिर भी 11 मार्च 2024 को विरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा कर दिया गया. 

इस गलती से फंसा कानूनगो आलोक दुबे

इसके बाद गाटा संख्या 207 को 19 अक्टूबर 2024 को एक निजी कंपनी रंग बेच दिया गया, जो जांच में गलत पाया गया है. यही गलती कानूनगो के गले की फांस बन गई. समिति ने इसे पद का दुरुपयोग, मिलीभगत और हित संघर्ष की श्रेणी में माना जिसके बाद 17 फरवरी 2025 को कानूनगो को निलंबित कर विभागीय जाँच शुरू की गई. 

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डीएम ने कानूनगो से बनाया लेखपाल

आलोक दुबे के खिलाफ 6 मार्च को चार आरोपों का आरोपपत्र जारी हुआ. नोटिस पत्र के जवाब और साक्ष्य प्रस्तुति के लिए 21 अगस्त तक व्यक्तिगत सुनवाई की प्रक्रिया चली. जिला अधिकारी की जांच कमेटी में अपर जिलाधिकारी फाइनेंस और एसीपी कोतवाली ने जांच में दोषी पाया. इस आधार पर आलोक दुबे को जिलाधिकारी ने कानूनगो से लेखपाल बना दिया है.

जाँच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आलोक दुबे की 41 संपत्तियां हैं. जिलाधिकारी ने कही कि ज़मीन में इस तरह के हेरफेर से जनता का विश्वास टूटता है जो एक तरह का अपराध है. इस मामले में क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी की भूमिका भी संदिग्ध मिली हैं. जिसके बाद उन पर भी कार्रवाई की गई है.