जालौन के एट थाना क्षेत्र में 23 जुलाई 2013 को हुए एक मेडिकल स्टोर संचालक के अपहरण के मामले में शुक्रवार को डकैती अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.  वहीं सभी दोषियों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. साढ़े 12 साल तक चले लंबे ट्रायल के बाद आए इस फैसले ने पीड़ित परिवार को इंसाफ की सांस दिलाई है और अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश दिया है.

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साढ़े 12 साल पुरानी है घटना 

दरअसल, यह घटना 23 जुलाई 2013 की रात की है, जब एट थाना क्षेत्र का एक युवक जो एक मेडिकल स्टोर चलाता था, अपना स्टोर बंद करके घर लौट रहा था. रास्ते में अचानर कुछ बदमाशों ने उसका अपहरण कर लिया. अपहरण के बाद अपराधियों ने परिवार से भारी फिरौती की मांग की. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की.

आखिरकार, 3 अगस्त 2013 को पुलिस की एक टीम की बदमाशों से मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने न सिर्फ अपहृत युवक को सुरक्षित बरामद किया बल्कि कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया. मुठभेड़ में आरोपियों के पास से युवक बरामद हुआ था. मामला दर्ज होने के बाद यह मुकदमा साढ़े 12 साल तक डकैती कोर्ट में चला.

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मामले में 20 लोगों ने दी गवाही

इस दौरान लगभग 20 गवाहों ने अदालत में अपनी गवाही दी. अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत पेश किए. डकैती कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डॉ. अवनीश कुमार ने इस मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. 

अदालत ने सभी छह दोषियों को भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सातवां आरोपी इस दौरान मृत पाया गया, इसलिए उसके खिलाफ मुकदमा समाप्त हो गया.

उम्रकैद की सजा के साथ आरोपियों पर लगा जुर्माना

न्यायाधीश डॉ. अवनीश कुमार ने सजा के साथ ही सभी छह दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह जुर्माना न चुकाने पर उन्हें और अधिक कठोर सजा भुगतनी पड़ सकती है. वहीं, महेंद्र विक्रम, अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा, अदालत के इस फैसले से यह संदेश गया है कि गंभीर अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

अभियोजन पक्ष की तरफ से सभी सबूत मजबूती से पेश किए गए थे, जिसके आधार पर आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई. यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को मजबूत करता है.