UP Weather News: उत्तर प्रदेश में गर्म हवाओं और चिलचिलाती गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. हालांकि मौसम विभाग ने बताया है कि आज 13 मई 2025 को उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर 40-70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी.

मौसम विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि, उत्तराखंड में हवा का चक्रवाती परिसंचरण के कारण मौसम में बदलाव देखा जा सकता है. इस हफ्ते तक राज्य में मानसून दस्तक दे सकता है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी इसका असर देखने को मिलेगा. मौसम विभाग ने बताया कि 14 मई से प्रदेश के पूर्वी और तराई क्षेत्रों के 19 जिलों में लू चलेगी. इसके साथ ही आने वाले दो दिनों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है.

प्रदेश में 5 से 6 डिग्री तक बढ़ सकता है तापमानउत्तर प्रदेश के मौसम को लेकर वैज्ञानिक ने बताया कि आने वाले 3 से 4 दिनों में प्रदेश में 5 से 6 डिग्री तक तापमान बढ़ सकता है. जिसके कारण लोगों को फिलहाल कुछ दिन गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली है. हालांकि 16 मई के बाद से तराई क्षेत्रों में मौसम बदल सकता है. इस दौरान चक्रवाती हवाएं चलेंगी. जिससे 3 से 4 दिनों तक तेज हवाओं के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है.

रविवार को प्रदेश के वाराणसी, कानपुर, बस्ती, बहराइच, चुर्क, बलिया समेत यूपी के 15 से ज्यादा जिलों में दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार रहा. वहीं मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश के चंदौली, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच और उसके आसपास के इलाकों में लू चलने की संभावना जताई है. 

बंगाल की खाड़ी में पश्चिमी हवाओं का विक्षोभ बढ़ावहीं दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और उससे लगी मध्य भारत में आने वाले 5 दिनों में गरज, बिजली के साथ भारी वर्षा होने की उम्मीद है. जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में भी आने वाले 3 दिनों में अलग अलग जगहों पर भारी बारिश की संभावना है. 

मौसम विभाग ने बताया है कि पिछले दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी बारिश हुई. इस अवधि में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के ऊपर पश्चिमी हवाओं का प्रभाव बढ़ा है. अप्रैल में आईएमडी ने 2025 के मॉनसून के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान जताया था और ‘अल नीनो’ की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया था जो भारतीय उप महाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा का कारण बनता है. 

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