लखनऊ, एबीपी गंगा। प्रदेश में बिजली का बिल चुकाने में नेता और सरकारी अधिकारियों का रिकॉर्ड काफी खराब है। आलम ये है कि सरकारी विभागों और आधिकारिक आवासों पर राज्य सरकार का करीब 13,000 करोड़ रुपये का बकाया है। ऐसे में इसकी वसूली के लिए राज्य सरकार ने किस्तों में भुगतान का विकल्प दिया है। इसके अलावा सरकार ने नेताओं और अधिकारियों के सरकारी आवास पर प्रीपेड मीटर लगाने का फैसला भी लिया है।

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प्रदेश में ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि राज्य में नेता और सरकारी अधिकारियों का रिकॉर्ड भी बिजली बिल भरने में बेहतर नहीं है। लिहाजा, सरकार ने सरकारी आवास पर प्रीपेड मीटर लगाने का फैसला किया गया है। इसके लिए एक लाख प्रीपेड मीटर के ऑर्डर दिए हैं। जैसे-जैसे ये मीटर आते जाएंगे, सरकारी आवासों में लगते जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिष्ठित व्यक्तियों से भी अपने यहां प्रीपेड मीटर लगाने की अपील की जाएगी।

श्रीकांत ने बताया कि सबसे पहले बिजली बिलों की वसूली भाजपा के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, जिलाध्यक्षों, जिला पंचायत सदस्यों-अध्यक्षों, नगर निगम और नगर पालिका के अध्यक्षों, बोर्ड और निगमों के अध्यक्षों से की जाएगी। खास बात ये है कि इसकी शुरुआत श्रीकांत शर्मा के आवास के साथ की जाएगी। सबसे पहला मीटर श्रीकांत के घर पर ही लगाया जाएगा।

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खुल रहे हैं विशेष थाने प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए पांचों डिस्कॉम के तहत 75 थाने खोले जा रहे हैं। इसके लिए सरकार ने 2,050 पदों का सृजन किया है। अब तक 68 थाने खुल चुके हैं। इनमें तैनात पुलिसकर्मियों के लिए वेतन और दूसरे खर्चों का भार पावर कॉरपोरेशन खुद उठाएगा।

इन थानों के लिए 75 निरीक्षक, 375 उपनिरीक्षक, 675 मुख्य आरक्षी, 150 मुख्य आरक्षी कंसोल ऑपरेटर और 675 सिपाहियों के पद मंजूर किए गए हैं। इन थानों में तैनात पुलिसकर्मियों और अन्य कर्मचारियों का काम जिले के हर इलाके में बिजली रोकना है।