उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक और शिक्षणेत्तर नियुक्तियों को और पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए शासन की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है. इसके लिए अब नियुक्ति कमेटी में शासन की ओर से भी एक प्रतिनिधि का नामित किया जाएगा. जो इन विभागों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल होगा. 

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इस संबंध में लखनऊ के विधान भवन कार्यालय में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने विभागीय समीक्षा बैठक हुई है जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए हैं. बैठक में मंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में शासन का प्रतिनिधि भी होगा. 

इसके साथ ही यूनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेजों, नए पाठ्यक्रमों की मान्यता और नए महाविद्यालयों की स्थापना के लिए एनओसी जारी करने की प्रक्रिया में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को भी शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं. 

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उच्च शिक्षा मंत्री ने दिए निर्देश

मंत्री ने इस संबंध में एक समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि अब से शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं करने पर संबंधित कुलपति की जिम्मेदारी शासन स्तर पर तय होगी. ये सब उच्च शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए किया जा रहा है. सरकार के लिए उत्तरदायित्व सर्वोच्च प्राथमिकता है.  

इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अशासकीय कॉलेज के शिक्षकों की तरह यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने का प्रस्ताव तैयार किया जाए. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को पुरस्कार दिए जाने पर भी सहमति बनी है. उन्होंने इसके लिए कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.  

इस बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव एमपी अग्रवाल, सचिव अमृत त्रिपाठी, विशेष सचिव गिरजेश त्यागी और निधि श्रीवास्तव उपस्थित रहे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत मूल्यांकन समिति का गठन किया जाएगा. यूपी सरकार लगातार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए काम कर रही हैं. 

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