Gorakhpur Holi News 2024: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में आईटीएम गीडा के भावी इंजीनियर्स ने ऐसी पिचकारी बनाई है, जो जय श्रीराम और राधे-राधे और हैप्पी होली बोलते ही रंगों से सराबोर कर देगी. बच्‍चों, बुजुर्गों के साथ दिव्यांगों को ये पिचकारी खूब लुभाने वाली है. खास बात ये है कि इसकी लागत भी महज 350 से 500 रुपये के बीच है. आईटीएम गीडा के सीएस सेकंड ईयर के छात्र निखिल कुमार गुप्ता और छात्रा प्रीति रावत ने मिलकर ये अनोखी पिचकारी बनाई है.


गोरखपुर के औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) के इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (आईटीएम) के सीएस सेकंड ईयर के छात्र निखिल कुमार गुप्‍ता और छात्रा प्रीति रावत ने बच्‍चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को ध्‍यान में रखकर ये पिचकारी बनाने के लिए प्लान किया है. उन्‍होंने सेंसर के माध्‍यम से पिचकारी को आवाज से कमांड देने की तकनीक को जोड़ा है. इस पिचकारी को जय श्रीराम, राधे-राधे और हैप्पी होली बोलते ही रंगों की फुहार निकलने लगेगी. इसमें वाइस माड्यूल लगाया गया है.


आईटीएम गीडा ने किया कमाल


आईटीएम गीडा के कंप्यूटर साइंस सेकंड ईयर की छात्रा प्रीति रावत और छात्र निखिल गुप्ता ने इनोवेशन सेल के समन्वयक विनीत राय के निर्देशन में होली के पावन अवसर पर भगवान श्रीराम और राधे कृष्ण नाम से चलने वाली खास पिचकारी बनाई है. निखिल और प्रीति ने विशेष रूप से इस राधे-राधे और श्रीराम नाम से चलने वाली वॉइस पिचकारी को खासतौर पर बच्‍चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए बनाया है. निखिल ने बताया कि बच्‍चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को ये पिचकारी सस्‍ती होने की वजह से खूब पसंद आएगी. दिव्‍यांग एक जगह बैठकर अपने परिवार के लोगों के साथ होली को सेलिब्रेट कर सकते हैं.


उनकी एक आवाज पर ये पिचकारी दोस्तों और परिवार के लोगों को होली के रंगो सें सराबोर कर देगी. निखिल और प्रीति ने बताया कि इस पिचकारी में दो लीटर का वाटर टैंक लगा है, जिसमें रंगों को घोलने के बाद पिचकारी के नजदीक अपने दोस्तों के आते ही आप को बस राधे कृष्णा या जय श्रीराम बोलने की जरुरत जैसे पिचकारी में लगे माइक तक वाइस कमांड जय श्रीराम, राधे-राधे या हैप्पी होली की आवाज पहुंचती है, पिचकारी एक्टिवेट हो जाती है और तेजी सें सामने की तरफ रंगों की बौछार करने लगती है. ये पिचकारी मेड इन इंडिया है.


पिचकारी बनाने में आया केवल इतने का खर्च


यह पिचकारी 3.7 वोल्ट बैटरी से संचालित होती है. एक बार चार्ज करने पर चार से पांच घंटे तक रंगों की बौछार कर सकती है. इस वॉइस पिचकारी की रेंज 10 से 20 मीटर के करीब है. इसे बनाने में मात्र 6 दिनों का समय लगा है और 350 रुपय् का खर्च आया है. इसे बनाने में  वॉयस मॉड्यूल, रिले मॉड्यूल 5 वोल्ट, 6 वोल्ट वाटर पम्प, प्लास्टिक कंटेनर उपकरणों का प्रयोग किया गया हैं. संस्थान के निदेशक डा. एनके सिंह ने कहा कि होली रंगों के साथ प्रेम और भाईचारे का भी त्यौहार है.


हमारे स्टूडेंट्स ने  कॉलेज के इनोवेशन सेल में एक ऐसी वायस पिचकारी बनाई है, जो बच्‍चों, बुजुर्गों के साथ हाथ-पैर से लाचार दिव्यांगजन जो की अपनो संग होली के रंग नहीं खेल पाते, उनके लिए ये पिचकारी बहुत खास है. क्योंकि ये पिचकारी आवाज के कमांड से संचालित होती है. इसके जरिए कोई भी अपने घरवालों और दोस्तों के संग होली के रंगों का आनंद ले सकता है. इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने छात्रों की इस उपलब्धि पर बधाई देते होते प्रसन्नता व्यक्त की है.


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