फतेहपुर में मकबरे को लेकर विवाद की तस्वीर सामने आई. जहां कुछ लोग भगवा झंडा लेकर मकबरे में दाखिल हो गए तोड़ फोड़ की और बाद में पथराव की तस्वीर सामने आई और पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर काबू कर लिया. घटना के बाद मौके पर शांति बहाल है लेकिन कई सवाल भी हैं आखिर मामला क्या है.

फतेहपुर की फिजा में अचानक धार्मिक सौहार्द बिगड़ने की बात कहां से आ गई. आखिर विवाद क्या है इसे जानने के लिए पहले हम मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता के पास पहुंचे इनका दावा है कि जहां विवाद हुआ वो जगह मकबरा है. 

इस किताब में है मकबरे का जिक्र

इसका जिक्र 1881 द इम्पीरियर गजेटियर आफ इंडिया में है. इन्होंने बताया कि 1704 से औरंगजेब के शासन काल मे लगभग साढ़े तीन सौ साल पुराना इसका इतिहास है. इसे मंगी मकबरा के नाम जाना जाता है और संगी मकबरा भी कहा जाता है जिसका मतलब है पत्थर का मकबरा.

 इसमे बनने वाली कब्र की अगर बात करें तो अब्दुल समद खान की मौत 1699 में और उनके बेटे अबु मोहम्मद की मौत 1704 में हुई और इन्ही दोनों की कब्र यहां मौजूद हैं बाकी इनके अन्य सेवादारों की हैं. इन्होंने बताया कि फतेहपुर गजेटियर में 1906 में लेखक एच आर नेविल ने पेज नंबर 199 और 200 में इसका जिक्र है. 

फतेहपुर के इतिहासकार ने किया किताब में जिक्र

इसके अलावा द इम्पीरियर गजेटियर आफ इंडिया 1881 में लिखी गई जिसके खण्ड 12 पृष्ठ 83 में जिक्र है. फतेहपुर के इतिहासकार डॉक्टर ओमप्रकाश अवस्थी ने अनुवाक पुस्तक में पेज 165 में इसका जिक्र किया. डॉक्टर इस्माइल आजाद ने तारिक ए फतेहपुर में पेज 53 54 55 में जिक्र किया गया. और कागजी अभिलेखों में भी इसे मकबरा ही दर्ज है.

वहीं हिन्दू पक्ष अपना दावा लेकर सामने आया है और उनके अनुसार अभिलेखों में ये मकबरा नहीं बल्कि ठाकुर जी का मंदिर है. मकबरे की जमीन का जो नंबर 1159 है हिन्दू समुदाय के अनुसार गिरधारी लाल और राय ईश्वर सहाय की जमींदारी थी. 1927 को बंटवारा हुआ, वहीं 1928 में एसडीएम कोर्ट से बंटवारा हुआ फिर 1159 सतीशचंद्र के खाते में, 753 और 752 राय ईश्वर के खाते में आती है. यहां एक घना बाग था. 

वक्फ बोर्ड की हो गई थी संपत्ती 

इनके अनुसार समय बीतने के साथ इनकी संपत्ति वक्क्फ की संपत्ति हो गई और वक्क्फ बोर्ड ने अनीश को मुतवल्ली बना दिया. और मुस्लिम वहां जाने लगे. पुश्तैनी जमीन का दावा करने वाले ने कहा कि यहां बीच मे शिव जी का मंदिर था. इन्होंने बताया कि 752 नंबर रकबा है

 मुस्लिम समाज की माने तो गाटा नम्बर 753 में मकबरा दर्ज है लेकिन हिन्दू समुदाय की मानें तो ये राय ईश्वर की संपत्ति में आया था. अब देखना ये होगा कि इस मामले को लेकर दोनों पक्षो का अगला कदम क्या होता है?