UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 2022 में विधानसभा चुनाव है जिसकी घोषणा चुनाव आयोग जनवरी मध्य में कर सकता है. तमाम राजनीतिक दलों के लिए यूपी का चुनाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है और इस बार भी कांग्रेस, बीजेपी, सपा व बसपा अपना पूरा जोर यूपी के विधानसभा चुनाव में लगाये हुए हैं. लेकिन 1989 से यूपी की सत्ता से बाहर कांग्रेस (Congress) पार्टी इस बार सत्ता में वापसी के लिए काफी जद्दोजहद कर रही है. खुद प्रियंका गांधी लगातार उत्तर प्रदेश में सक्रिय नजर आ रही है. मसकद केवल एक है कांग्रेस की खोई हुई जमीन को वापस पाना और इसके लिए वो इस बार बड़े-बड़े वादे भी कर रही हैं.


सत्ता के लिए बड़े वादे


प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) 1989 के बाद कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में फिर से सत्ता में लाना चाहती हैं इसके लिए पिछले एक हफ्ते में उन्होंने 8 बड़े वादे जनता से किये. उनके वादे की अगर बात करें तो, 40% टिकट विधानसभा चुनाव में महिलाओं को, 20 लाख सरकारी रोजगार, किसानों की कर्ज माफी, गेंहू-धान का समर्थन मूल्य 2500 और गन्ने का 400, गरीब परिवारों को 25 हजार, बिजली बिल आधा, छात्राओं को स्कूटी व मोबाइल इसके अलावा आज उन्होंने 10 लाख तक का इलाज मुफ्त देने की घोषणा की. अब देखना ये है कि उनके वादे का असर मतदाताओं पर कितना पड़ेगा.


क्या कांग्रेस को होगा फायदा?


समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुखराम यादव कहते हैं प्रियंका का वायदा कुछ तो फायदा करेगा. सुखराम यादव ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से दिल्ली में लोगों को वायदे ने लुभाया है उस तरह से यूपी में प्रियंका को फायदा होगा. वहीं मेरठ से बीजेपी के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि प्रिंयका के वायदे का ज्यादा लाभ पार्टी को नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस जमीनी तौर पर यूपी में मजबूत नहीं है. बीजेपी ने सभी वर्गों के लिए कार्य किया जिसका लाभ मिलेगा.


प्रियंका के प्रभारी बनने के बाद कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी


फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश जैसे बड़ा राज्य का प्रभारी बनाया गया जिसके बाद अगर बात करें तो पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी तक कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है और कोई बड़ा चेहरा पार्टी में शामिल नही हुआ है. जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी है उनमें प्रमुख जितिन प्रसाद, ललितेश पति त्रिपाठी, राजाराम पाल, गयादीन, पंकज मलिक, हरेंद्र मलिक आदि प्रमुख चेहरा हैं. वही दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के यूपी में बड़े नेताओं में शामिल इमरान मसूद लगातर समाजवादी पार्टी से कांग्रेस के गठबंधन की बात कह रहे हैं. बिना गठबंधन के कांग्रेस की जीत को नामुमकिन बता रहे हैं.


1989 से सत्ता से बाहर है कांग्रेस


उत्तर प्रदेश में 1989 में नारायण दत्त तिवारी कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद से पार्टी लगातार राज्य की सत्ता से बाहर है और कभी भी दोबारा सत्ता में नहीं आ सकी है. इस बार प्रियंका गांधी पूरा जोर लागये हैं कि कांग्रेस को सत्ता में दोबारा लाया जाए. अब देखना ये होगा उनका नेतृत्व कितना करिश्मा दिखाता है.


कांग्रेस की चुनौती है बड़ी


2012 में कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में 28 सीटों पर विजयी हुई थी जिसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी. 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था और 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी मात्र 7 सीटों पर विजय हासिल कर सकी थी. वहीं अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस मात्र रायबरेली सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी और अपनी परंपरागत सीट अमेठी भी हार गई जहां से राहुल गांधी 2004 से सांसद थे. 2014 से कांग्रेस पार्टी लगातार यूपी में सिमट रही है और एक के बाद एक बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. ऐसे में 2022 का चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए चुनौतियों से भरा है जहां पर उसे अपनी जमीन बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ेगा.


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