UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में इन दोनों ठंड सितम ढा रही है लेकिन राजनीतिक पारा गर्म है. विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद अब प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने लगी है. सभी राजनीतिक दल प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर रही हैं. ऐसे में 'आया राम गया राम' कहलानेवाले नेता भी निकल कर सामने आ रहे हैं. हम बात कर रहे हैं दल बदलू नेताओं की. समय-समय पर सियासी महत्वकांक्षा जाहिर करते रहते हैं. कुछ ऐसा ही इन दिनों समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच हो रहा है.

भाजपा और बसपा से टूटकर सपा में जाने का सिलसिला है जारी

समाजवादी पार्टी में इन दिनों भाजपा और बसपा से विधायक और कार्यकर्ताओं के टूटने का सिलसिला जारी है. दोनों पार्टियों से नेता नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ये मामला सिर्फ सपा के साथ बल्कि भाजपा में भी देखा जा रहा है. बसपा और सपा के कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो रहे हैं. इनका इस तरह से पार्टियों को छोड़कर जाना और दूसरी पार्टियों को अपनाना कहीं न कहीं चुनावी घमासान को काफी रोमांचक बनाता जा रहा है. अखिलेश यादव के नेतृत्व में भरोसा करते हुए बसपा छोड़कर गुरुवार को मेरठ, गाजियाबाद के कई वरिष्ठ नेता भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इनमें प्रमुख हैं पूर्व राज्यमंत्री राम प्रसाद प्रधान, पूर्व राज्यमंत्री मुकेश कुमार, मुख्य कोआर्डिनेटर बसपा मेरठ मंडल और पूर्व पार्षद नगर निगम गाजियाबाद सिंहराज. भाजपा छोड़कर पूर्व प्रत्याशी पुवाया विधानसभा शाहजहांपुर राजवीर सिंह बाठ और सेक्टर प्रभारी बसपा मिर्जापुर मंडल डॉ लोकपति सिंह पटेल और पूर्व प्रत्याशी बसपा बढ़ापुर, बिजनौर हाद एस. दानी ने भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

सपा में शामिल होनेवालों का भाजपा ने बताया रिपोर्ट कार्ड खराब

बसपा छोड़कर प्रदेश महासचिव जनअधिकार पार्टी उत्तर प्रदेश बालजीत कुशवाहा, सुधीर गौतम भदोही, भोलानाथ वर्मा बलिया, करूणाकांत मौर्य, आजमगढ़, पूनम चन्द्रा लखनऊ और मेजर सुरेन्द्र कुशवाहा गाजीपुर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के सामने सहारनपुर के पूर्व पार्षद हाजी मोहर्रम अली पप्पू, पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी हाजी नवाब अंसारी, बाल्मीकि प्रदेश महामंत्री एस.सी/एस.टी. कांग्रेस धीरज आजाद और कांग्रेस नेता आफाक कुरैशी शामिल हुए. बहरहाल चुनावों की तारीखों का ऐलान होने के बाद से आया राम गया राम का सिलसिला लगातार जारी है. भाजपा के गलियारों से निकलकर कुछ विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं. उनका रिपोर्ट कार्ड खुद भाजपा खराब बताने लगी है. उनका कहना है कि इन लोगों का लगभग टिकट कटना तय था. उस वजह से अब भाजपा से जा चुके हैं अब ऐसे में हम सिर्फ यही कह सकते हैं कि भगवान इनको सद्बुद्धि दे. चुनावी वादे और चुनावी कुर्सियों का खेल कुछ इस तरह से चल रहा है कि उत्तर प्रदेश के लोग भी असमंजस में हैं कि इस बार कौन सी पार्टी सरकार बनाएगी लेकिन लोगों को इतना विश्वास भी है कि जो भी पार्टी सरकार बनाएगी चुनी हुई पार्टी बनेगी.  इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर चुनाव के दौरान देखने को मिल सकती है. 

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