UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में इन दिनों चुनावी माहौल है. वहीं यूपी की सियासत में मोहम्मदाबाद का फाटक किसी पहचान का मोहताज नहीं है कभी इसी फाटक से तीन भाइयों शिबगतुल्ला अंसारी (Shibgatulla Ansari), अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) और मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की कहानी शुरू हुई और आज दूसरी पीढ़ी राजनीति में जोर आजमाने के लिए चुनाव मैदान में है. इस फाटक के दो युवा सियासी सुरमा इन दिनों पूर्वांचल के केंद्र में हैं. मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी मनु अंसारी और मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी मउ की सदर विधानसभा सीट से सुभासपा के प्रत्याशी हैं. दोनों युवा अब चुनाव में डंटे हैं और जनता की सेवा करने की बात कह रहे हैं


मुख्तार के दादा का था आजादी के लड़ाई में अहम रोल


आपको बता दें कि मुख्तार अंसारी का नाम यूपी के माफिया डॉन के तौर पर जाना जाता है लेकिन इस परिवार का एक और भी इतिहास है मुख्तार अंसारी के दादा इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके दादा का नाम भी मुख्तार ही था जिन्होंने देश की आजादी के लिए अहम रोल अदा किया था. इसके लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था. दादा की तरह मुख्तार के चाचा ने भी देश के लिए अपनी सेवाएं दी थीं. मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी देश के उप राष्ट्रपति थे.


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अफजल से सिखे थे मुख्तार ने राजनीतिक दांव-पेच


वहीं, मुख्तार के भाई अफजल अंसारी मौजूदा समय में गाजीपुर से सांसद हैं. उनके नाना का भी नामचीन हस्तियों में नाम शुमार था. पहली पीढ़ी की बात करें तो अफजल अंसारी से मुख्तार ने राजनीतिक समझ चुनाव मैदान में उतरे थे. इसीलिए अफजल मुख्तार को छोटा ही कहते रहे हैं. इतना ही नहीं मुख्तार और अफजल दोनों भाई बड़े भैया शिबगतुल्ला की बात को पत्थर की लकीर मानते हैं. ऐसे में बड़े राजनीतिक परिवार का नाम कभी माफिया के नाम पर जाना गया और अब नई पीढ़ी माननीय बनने की राह पर है. इस परिवार के बड़ों का दावा है मछली को तैरना नहीं सिखाते.


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