Scheme for transgenders in UP: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में गरिमा गृह स्थापित होने जा रहा है. जिसको लेकर वर्तमान सांसद राम प्रसाद चौधरी ने इंदिरा चैरिटेबल सोसाइटी की सचिव काजल किन्नर के पत्र पर केंद्र सरकार को एक सिफारिश पत्र लिखा है और मोदी सरकार का ध्यान खींचा है कि योगी सरकार की तरफ से प्रस्ताव पास कर दिया गया है. इसलिए जल्द मोदी सरकार भी इसपर निर्णय लेते हुए आदेश पारित करे, ताकि देश भर में किन्नरों के उत्थान के लिए गरिमा गृह पर कार्य शुरू हो सके. 

उत्तर प्रदेश में इस महत्वपूर्ण योजना के जारी होने से किन्नरों के सामाजिक बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. योगी सरकार ने किन्नरों के समावेशी विकास के लिए प्रदेश में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड का गठन भी किया है. राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण और उत्थान की दिशा में एक ठोस कदम उठाते हुए केंद्र सरकार से जनपद में एक 'गरिमा गृह' स्थापित करने का आग्रह किया है. यह प्रस्ताव, भारत सरकार की SMILE (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise) योजना के अंतर्गत भेजा गया है, जिसका उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले व्यक्तियों को सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्रदान करना है. उत्तर प्रदेश में लगभग एक लाख तीस हजार किन्नर समाज के लोग हैं, जो अभी समाज की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाए हैं. 

मोदी सरकार से बस्ती में गरिमा गृह की स्थापना की मांगउत्तर प्रदेश शासन द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अपर सचिव को समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव की तरफ से प्रेषित इस विस्तृत प्रस्ताव में, बस्ती जिले में गरिमा गृह की आवश्यकता, इसके संभावित लाभ और संचालन के लिए अपेक्षित औपचारिकताओं का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. पत्र में विशेष रूप से मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार से अनुरोध किया गया है कि वे इस महत्वपूर्ण विषय पर व्यक्तिगत ध्यान दें और बस्ती में गरिमा गृह की स्थापना की स्वीकृति को प्राथमिकता दें.

ट्रांसजेंडर समुदाय, जो सदियों से सामाजिक भेदभाव और उपेक्षा का शिकार रहा है, अक्सर आवास, भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहता है. इसके परिणामस्वरूप, वे असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर होते हैं और कई बार शोषण और हिंसा का शिकार भी हो जाते हैं. SMILE योजना के तहत 'गरिमा गृह' की अवधारणा इसी पृष्ठभूमि में उपजी है, जिसका लक्ष्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान करना है, जहां वे अपनी पहचान और अधिकारों के साथ जी सकें

ट्रांसजेंडर के समग्र विकास के लिए जरूरी गरिमा गृहबस्ती जिले में गरिमा गृह की स्थापना न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय को आश्रय प्रदान करेगी, बल्कि यह उन्हें कौशल विकास और आजीविका के अवसरों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस पहल के माध्यम से, ट्रांसजेंडर व्यक्ति शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकेंगे और समाज की मुख्यधारा में सक्रिय योगदान दे सकेंगे. यह कदम उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होगा. प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि बस्ती जैसे जिले में गरिमा गृह की स्थापना से ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आएगा. जब समाज के सदस्य इन व्यक्तियों को सम्मानजनक जीवन जीते हुए देखेंगे, तो उनके मन में व्याप्त पूर्वाग्रह और गलत धारणाएं धीरे-धीरे दूर होंगी. एक समावेशी वातावरण का निर्माण होगा, जहां ट्रांसजेंडर व्यक्ति बिना किसी डर या भेदभाव के अपनी जिंदगी जी सकेंगे.

यह पहल भारतीय संविधान के मूल्यों के अनुरूप भी है, जो सभी नागरिकों को समानता और न्याय का अधिकार प्रदान करता है. वंचित वर्गों को निष्पक्ष और सार्थक न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी कानून प्रणाली को बढ़ावा देना सरकार का कर्तव्य है, और बस्ती में गरिमा गृह की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. जिले के सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य इस प्रस्ताव से बेहद उत्साहित हैं. उनका मानना है कि यह पहल उनके जीवन में एक नया सवेरा लाएगी और उन्हें समाज में अपनी पहचान और सम्मान वापस दिलाने में मदद करेगी. वे केंद्र सरकार से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं ताकि बस्ती में जल्द से जल्द गरिमा गृह का संचालन शुरू हो सके.

केंद्र सरकार से मंजूरी का इंतजारअब, सभी की निगाहें नई दिल्ली पर टिकी हैं, जहां सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. यदि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो यह न केवल बस्ती जिले के ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक बड़ी जीत होगी, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बनेगा. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर कितनी तेजी से और सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया करती है, ताकि हाशिए पर रहने वाले इस समुदाय को आखिरकार वह सम्मान और सुरक्षा मिल सके जिसके वे हकदार हैं.

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