UP News: उत्तर प्रदेश में शराब के दामों में बढ़ोतरी की खबर सामने आई है. यूपी में देशी शराब की 200 ML बोतल 5 रुपये महंगी होगी और अप्रैल से नए दाम लागू होंगे. आबकारी विभाग ने कारोबारियों का मार्जिन बढ़ाया है और फुटकर दुकानों का कोटा 10% बढ़ाया गया है, 60 हजार करोड़ का राजस्व जुटाने का लक्ष्य है.
उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति 2025-26 के तहत आबकारी लक्ष्य 55000 करोड़ रुपये निर्धारित है. दुकानों की राज्यव्यापी ई-लॉटरी है और एक व्यक्ति पूरे राज्य में अधिकतम 2 दुकानें प्राप्त कर सकता है. लेकिन वह सभी दुकानों के लिए आवेदन कर सकता है.
वहीं एफडी/बीजी केवल विजेता बोलीदाता द्वारा ही प्रस्तुत किया जाएगा (पहले सभी आवेदकों द्वारा प्रस्तुत किया जाना था). इससे प्रशासनिक सुविधा होगी और आवेदनों की संख्या में वृद्धि होगी. केवल ईबीजी लेने का प्रयास किया जाएगा. दुकानों का नवीनीकरण 2026-2027 में किया जा सकेगा, इस अवधि को 2 साल तक बढ़ाने से दुकानों की व्यवहार्यता सुनिश्चित होगी. 28% वी/वी अनाज आधारित यूपी निर्मित शराब (यूपीएमएल) की नई श्रेणी शुरू की गई.
नई आबकारी नीति में पृथक एफएल और बीयर की दुकानों के स्थान पर संयुक्त दुकानें बनाई जाएंगी, जिससे दुकानों की संख्या बढ़ाए बिना खुदरा घनत्व में वृद्धि होगी. विसंगतियों को दूर करने और व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए सभी दुकानों में लाइसेंस शुल्क और न्यूनतम गारंटीकृत मात्रा (एमजीक्यू)/न्यूनतम गारंटीकृत राजस्व (एमजीआर) को युक्तिसंगत बनाया जाएगा.
वहीं कम से कम 400 वर्ग फीट क्षेत्रफल वाली तथा अन्य शर्तों को पूरा करने वाली संयुक्त दुकानों को मॉडल शॉप में परिवर्तित किया जा सकता है तथा वहां ग्राहकों को शराब परोसी जा सकती है. देशी शराब की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ बीयर बेचने का भी विकल्प मिलेगा.
अवैध शराब आपूर्ति की संभावना कम
देशी शराब केवल टेट्रा बोतलों में ही बेची जा सकेगी पहले इसे पेट और कांच की बोतलों में भी बेचा जा सकता था. इससे मिलावट और अवैध शराब आपूर्ति की संभावना कम हो जाएगी. नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ में कम अल्कोहल वाले बार (केवल बीयर और वाइन परोसने वाले) शुरू किए गए.
नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ में कम अल्कोहल वाले प्रीमियम खुदरा विक्रेता (पीआरवी) (केवल बीयर और वाइन बेचने वाले) शुरू किए गए. नोएडा और नगर निगम क्षेत्रों में न्यूनतम 3,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल वाली 2 मॉडल शॉप प्रीमियम मॉडल शॉप के रूप में कार्य कर सकती हैं और इनका नवीनीकरण 27-28 फरवरी तक किया जा सकता है.
दुकानों पर पीओएस मशीन और डिजिटल भुगतान अनिवार्य
प्रत्येक खुदरा दुकान में पीओएस मशीन, 2 सीसीटीवी कैमरे और ग्राहकों को डिजिटल भुगतान की वैकल्पिक सुविधा प्रदान करना अनिवार्य किया गया. विकास प्राधिकरणों और औद्योगिक क्षेत्रों में 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले आईटी और आईटीईएस प्रतिष्ठानों में बार और पीआरवी खोले जा सकेंगे.
इवेंट बार लाइसेंस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा
वाइनरी, ब्रुअरीज और डिस्टिलरी में आगंतुकों के लिए शराब चखने की अनुमति है. शराब बनाने वाली कंपनियों और वाइनरी में खुदरा दुकानें खोली जा सकेंगी. आईएमएफएल की नियमित श्रेणी में 90 एमएल श्रेणी शुरू की गई और दुरुपयोग को रोकने के लिए इवेंट बार लाइसेंस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया. वाइन और एलएबी को बीयर की तरह डिब्बों में बेचा जा सकता है. शराब की विभिन्न श्रेणियों के लिए एमआरपी और उत्पाद शुल्क की गणना के लिए नया फॉर्मूला पेश किया गया
निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किए गए उपाय
अनाज ईएनए निर्यात शुल्क 3 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 2 रुपये प्रति लीटर किया गया. बीयर और विदेशी शराब के लिए पिछले वर्ष शुरू की गई फ्रेंचाइज़ फीस को कम किया गया और युक्तिसंगत बनाया गया, विशेष रूप से निर्यात के लिए. राज्य में स्थित डिस्टिलरी और ब्रुअरीज के लिए बीयर और विदेशी शराब के निर्यात शुल्क में कमी की गई.
ब्रांड पंजीकरण और लेबल अनुमोदन शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया और कम किया गया, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में निर्मित वाइन और बीयर के लिए. देश से बाहर निर्यात किए जाने वाले ब्रांडों के लिए लेबल अनुमोदन की शर्तों को सरल बनाया गया और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया गया.
नाममात्र लाइसेंस फीस पर प्रत्येक जिले में एक दुकान
राज्य आधारित वाइनरीज स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नाममात्र लाइसेंस फीस पर प्रत्येक जिले में एक दुकान खुल सकती हैं, जहां वे केवल अपनी वाइन ही बेच सकेंगी. डिस्टिलरी, वाइनरी और ब्रुअरीज में जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए.
(लखनऊ से शहनवाज आलम की रिपोर्ट)