UP ByPolls 2024: जैसी चर्चा थी वैसा ही हुआ. मीरापुर में बहुजन समाज पार्टी के हाथी ने घुटने टेक दिए. मीरापुर उपचुनाव के मैदान में हाथी थका हुआ और निराश नजर आया. नतीजा हाथी की जमानत जब्त हो गई. पश्चिमी यूपी की मीरापुर सीट से आए इन नतीजों ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि बसपा की पश्चिमी यूपी में मजबूत पकड़ इतनी कमजोर हो जाएगी किसी ने नहीं सोचा था. इन नतीजों ने बसपा के सामने मुश्किलों के पहाड़ खड़े गए दिए हैं और 27 राह बसपा के लिए आसान नजर नहीं आ रही है.

मीरापुर में रैली और रोड शो को तरस गया हाथीयूपी की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में यूं तो सभी सीटें महत्वपूर्ण थी, लेकिन पश्चिमी यूपी की मीरापुर विधानसभा सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई थी. मीरापुर सीट 2012 में अस्तित्व में आई थी और तब यहां हुए विधानसभा चुनाव में बसपा से जमील अहमद विधायक बने थे. इन नतीजों ने सबको चौका दिया था और ये चर्चा होने लगी थी कि बहन जी का हाथी यहां सबको पटखनी दे सकता है, लेकिन बात 2017 की रही हो या फिर 2022 की और चाहे अब उपचुनाव की, हाथी की चाल धीमी ही नहीं पड़ी बल्कि वो सियासत के मैदान में बुरी तरह थक गया. नतीजा बसपा प्रत्याशी शाह नजर की जमानत जब्त हो गई.

बसपा उपचुनाव तो लड़ी, लेकिन दिग्गजों ने मैदान से बनाए रखी दूरीबसपा सुप्रीमो मायावती ने पहली बार उपचुनाव लड़ने का एलान करके सबको चौंका दिया. मीरापुर की महाभारत में हाथी से शाह नजर को मैदान में उतारा, लेकिन बसपा के तमाम दिग्गज नेता प्रचार अभियान से दूरी बनाते रहे. रालोद मुखिया और केन्द्रीय राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने कई बार मीरापुर के मैदान में हुंकार भरी, अखिलेश यादव भी रैली कर माहौल बना गए, ओवैसी भी पंतग को आसमान की उंचाईयों तक पहुंचाने के लिए आए और सियासी हवा की रफ्तार बढ़ा गए. आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चन्द्रशेखर आजाद ने भी अपने प्रत्याशी के लिए पूरी ताकत लगाई और कई बार मीरापुर के मैदान को मथा, लेकिन बसपा के बड़े नेताओं ने मैदान से दूरी बना ली. न किसी बड़े नेता की रैली हुई और न किसी नेता ने रोड शो किया, नतीजा हाथी पर ज्यादा मतदाओं का ध्यान ही नहीं गया और मीरापुर की सियासत की लड़ाई में हाथी सबसे पीछे रह गया.

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लोकसभा चुनाव में मीरापुर सीट पर मिले थे चौधरी विजेन्द्र सिंह को 58 हजार वोटअभी हाल ही में सम्पन्न हुए बिजनौर लोकसभा के तहत आने वाली मीरापुर विधानसभा सीट पर बसपा से चुनाव लड़े चौधरी विजेन्द्र सिंह को करीब 58 हजार वोट मिले थे. इसको लेकर चर्चा चल रही थी कि बसपा यहां मजबूत है, लेकिन कुछ ही महीने में बसपा का ग्राफ इतना गिर जाएगा किसी ने नहीं सोचा था. बसपा प्रत्याशी शाह नजर को मात्र 3248 वोट मिले. इन नतीजों ने सबको चौंका दिया कि कि लोकसभा चुनाव में मीरापुर विधानसभा पर बहनजी के प्रत्याशी रहे चौधरी विजेन्द्र सिंह को 58 हजार वोट हासिल करने वाली बसपा मात्र 3248 पर सिमट गई. इसको लेकर मीरापुर से लखनउ तक हलचल है. यानि मीरापुर उपचुनाव के मैदान में जीत की कहानी लिखने की उम्मीद लेकर उतरी बसपा को नाकामी हाथ लगी.

नल से निकलता रहा पानी और हाथी वोटों के लिए प्यासामीरापुर उपचुनाव में रालोद और बीजेपी प्रत्याशी मिथलेश पाल चुनाव जीत गई. मतगणना के दौरान मिथलेश पाल शुरू से ही एसी बढ़त बनाकर चली कि कोई उनसे आगे निकलने की बात तो दूर पास तक भी नहीं पहुंच पाया, जबकि बसपा का हाथी वोटों के लिए तरसता रह गया. एक भी राउंड ऐसा नहीं आया कि जब हाथी ने हुंकार भरी हो, न हाथी की हुंकार नजर आई न ही कभी किसी बड़ी पार्टी के प्रत्याशी से हाथी आगे निकला.

बसपा प्रत्याशी शाह नजर बोले, पुलिस चुनाव जीती और हम चुनाव हारेबसपा के इतने खराब प्रदर्शन की किसी को उम्मीद नहीं थी. इस बारे में जब मीरापुर विधानसभा सीट से बसपा से चुनाव लड़े शाह नजर से बात की तो उन्होंने कहा कि पुलिस चुनाव जीत गई और हम हार गए. उन्होंने आरोप लगाया कि जहां वोट पड़ी वहां ज्यादतर जगह सीसीटीवी बंद करा दिए गए थे. बैरिकेटिंग करके हमारे मतदाताओं को रोका गया. दो घंटे के लिए कई बूथों के दरवाजे बंद कराकर एआईएमआईएम और आसपा को वोट डलवाए गए, ताकि हमें कमजोर दिखाया जा सके. 17 नवंबर को हमारे नेता आकाश आनंद की जनसभा की परमिशन नहीं दी गई और इससे मतदाता दूसरी तरफ चला गया. हमें शुरू से ही हराने का बीजेपी ने प्रयास किया.