UP News: लोकसभा चुनाव में अच्छे परिणाम ने आने के बाद से बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. वहीं प्रदेश स्तर पर संगठन में बदलाव की भी खूब चर्चा हो रही थी, इस बीच प्रदेश के कई बड़े नेता दिल्ली में बड़े नेताओं से जाकर मिलने लगे थे.नेताओं की इस तरह मुलाकात को विपक्ष ने भी खूब उठाया था, लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सबको छोड़ संगठन को मजबूत करने में लगे हुए थे. उन्होंने उपचुनाव वाले जिलों में ताबड़तोड़ रैली कर वहां का रुख ही बदल दिया,जिसका परिणाम उपचुनाव में देखने को मिला.
उपचुनाव में मिली जीत के बाद से कई महीनों से चल रहे अंदरूनी भितरघात पर लगाम भी लग गया. साथ ही विधानसभा चुनाव के पहले इस जीत के बाद भाजपा संगठन और भी मजबूत हो गया.उपचुनाव के मिली जीत का श्रेय संघ को भी जाता है क्योंकि जिस तरह लोकसभा में चुनाव से संघ ने दूरी बना ली थी वहीं उपचुनाव में संघ सक्रिय दिखाई दिया, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ. बता दें कि यूपी की 9 विधानसभा सीटों की कमान खुद सीएम योगी ने संभाल रखी थी,साथ ही कई बड़े नेताओं को भी इसकी जिम्मेदारी दी गई थी.
नारों और सदस्यता अभियान से मिली जीतहरियाणा चुनाव में सीएम योगी के दिए नारे बंटेंगे तो कटेंगे का भी उपयोग भी उपचुनाव भी देखने को मिला. इसके साथ ही एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे का नारा पार्टी के लिए बड़ा कारीगर रहा. ये तो तय है कि अब इस नारे का उपयोग पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव में करेगी और वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने का काम करेगी. संगठन के विस्तार के लिए सदस्यता अभियान उपचुनाव में जीत की बड़ी वजह बनकर उभरा. साथ ही बीजेपी का कुंदरकी में 31 और कटेहरी में 33 बाद कमल खिलने से सीएम योगी का भाजपा हाईकमान के बीच कद और भी बढ़ गया है. अब तो लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के समीक्षा बैठकों में शामिल न होने वाले नेता भी अपना रुख बदलने को मजबूर हो गए है.
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