सड़कों की बदहाली से जूझ रहे बस्ती जिले के एक गांव से ग्रामीणों का अनोखा विरोध प्रदर्शन सामने आया है. बस्ती सदर विकासखंड के ग्राम पंचायत चमरौहा सियरापार के अंतर्गत आने वाले कूपनगर गांव के ग्रामीणों ने अपनी मुख्य सड़क की दुर्दशा से तंग आकर उस पर धान की रोपाई कर डाली. 

कूपनगर गांव की यह सड़क, जिसे ग्रामीण अपनी मुख्य जीवनरेखा बताते हैं, आज पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है. यह सिर्फ छोटे-मोटे गड्ढे नहीं, बल्कि गहरे और बड़े गड्ढे हैं जो तालाब का रूप ले चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने वर्षों से इस सड़क की मरम्मत के लिए स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी कर दी गई.

बरसात का मौसम आते ही इस सड़क की स्थिति और भी बदतर हो जाती है. सड़क पर कीचड़ और घुटनों तक पानी भर जाता है, जिससे यह पूरा क्षेत्र दलदल में बदल जाता है. कूपनगर के निवासी रामशंकर ने बताया, "गाड़ी चलाना तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. कई बार तो ऐसा लगता है जैसे हम किसी नदी को पार कर रहे हों, सड़क नहीं."

बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा

इस बदहाल सड़क का सबसे बड़ा खामियाजा स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है. छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाते समय अक्सर इन गड्ढों में गिरकर चोटिल हो जाते हैं. स्थानीय ग्रामीणों ने दर्द भरी आवाज में कहा, "उनके बच्चों को कई बार चोट लग चुकी है. उन्हें हर दिन डर लगा रहता है कि आज कौन गिरेगा. बुजुर्ग और महिलाएं भी अक्सर फिसलकर चोटिल हो जाती हैं. यह सड़क अब सुविधा नहीं, बल्कि एक अभिशाप बन गई है."

स्थानीय नेताओं से भी संपर्क किया

ग्रामीणों का आरोप है कि इस सड़क की मरम्मत के लिए कई बार ज्ञापन दिए गए, शिकायतें दर्ज कराई गईं और स्थानीय नेताओं से भी संपर्क किया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. प्रशासन की इस उदासीनता और संवेदनहीनता ने ग्रामीणों के धैर्य की सीमा तोड़ दी. थक-हार कर उन्होंने अब एक ऐसे तरीके से विरोध करने का फैसला किया, जिससे प्रशासन की नींद टूटे.

कूपनगर के ग्रामीणों ने एक साथ आकर सड़क के उन बड़े गड्ढों में, जो बारिश के पानी से भरे हुए थे, धान के पौधे रोप दिए. इस अनोखे प्रदर्शन में युवा, बुजुर्ग और महिलाएं सभी शामिल हुए. उनका मकसद साफ था: सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि यह अब खेती के लायक हो गई है, चलने के लायक नहीं. यह सिर्फ धान की रोपाई नहीं थी, बल्कि यह प्रशासन के निकम्मेपन पर एक करारा तमाचा था.

उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे ग्रामीण

ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि अगर जल्द ही इस सड़क की मरम्मत नहीं की गई, तो वे और बड़े और उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे. उनका कहना है कि वे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक उनकी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो जाता.

सड़कों की बदहाली एक आम समस्या है

कूपनगर के ग्रामीणों का यह अनोखा प्रदर्शन पूरे देश के उन ग्रामीण इलाकों के लिए एक संदेश है, जहां सड़कों की बदहाली एक आम समस्या है और प्रशासन अक्सर आंखें मूंद लेता है. अब देखना यह है कि बस्ती प्रशासन इस पर कब तक और क्या कार्रवाई करता है. क्या इस अनोखे विरोध से उनकी नींद टूटेगी और ग्रामीणों को जल्द ही एक सुगम सड़क मिल पाएगी?