Bareily News: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को अनुसंधान व नवाचार समाज की जरूरतों के अनुसार करना चाहिए ताकि इनसे महिलाओं, किसानों और अन्य जरूरतमंद वर्गों की समस्याओं को सुलझाने में मदद मिल सके.

राज्यपाल ने यहां भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा, 'हम कहां हैं, हमारी कमियां क्या हैं, हमारी खूबियां क्या हैं, जरूरत क्या है, समस्या क्या है. जब तक हम इन्हें सामने रखकर काम नहीं करेंगे तब तक किसी को कोई फायदा नहीं होने वाला है.'

विश्वविद्यालयों को दी हिदायतपटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज की आवश्यकताओं को समझते हुए अनुसंधान और नवाचार के जरिये महिलाओं, बच्चों, किसानों एवं अन्य रूरतमंद वर्गों की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में भी कार्य करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों को यह भी देखना चाहिए कि विद्यार्थियों में कौन-सा कौशल है, वे समाज के किन वर्गों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हैं और कैसे अपने ज्ञान को समाज के लिए उपयोगी बना सकते हैं.

आनंदीबेन पटेल ने कृषि व पशुपालन पर दिया जोरराज्यपाल ने कहा, 'विश्वविद्यालयों को समाज के उन वर्गों तक भी ज्ञान को पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, जैसे महिलाएं और किसान.'आनंदी बेन पटेल ने कहा कि वह खुद कृषि व पशुपालन दोनों क्षेत्रों से जुड़ी रही हैं और उनका अनुभव बताता है कि जब तक हम स्वयं महिलाओं और किसानों के साथ बैठकर उनकी वास्तविक जरूरतों और समस्याओं को नहीं समझेंगे, तब तक उनके लिए सार्थक समाधान संभव नहीं हो सकता.

राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह केवल सम्मान देने का अवसर नहीं होता, यह एक प्रेरणादायक अवसर होता है, जहां छात्र-छात्राओं को भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है और इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अपने जीवन के अगले पड़ाव के लिए तैयार करना होता है.

राज्यपाल ने साझा किया अपना अनुभवपटेल ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, 'जब मैं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का कार्यभार संभालने जा रही थी, तब मैं प्रधानमंत्री जी (नरेंद्र मोदी) से मिलने गई कि मुझे क्या करना चाहिए, क्योंकि एक ओर यह कहा जाता है कि यह तो ऐसा पद है कि हम कुछ नहीं कर सकते और मैं तो गुजरात में 30 साल काम करके आई हूं.

उन्होंने कहा, 'इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चिंता व्यक्त की और उनकी चिंता यह थी कि भारत भर में हमारा कोई विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है. हमें प्रयास करके, विश्वविद्यालयों में मेहनत करके, बैठकर, सोचकर मार्गदर्शन करके वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, शोध हो.' 'प्रधानमंत्री मोदी ने मुझसे कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन करवाना है और बच्चों की मेधा को निखारना है. भारत के किसानों और अन्य वर्गों की क्या समस्याएं हैं उनका समाधान कैसे किया जाए इस बारे में बताना है.' कृषि विश्वविद्यालयों को एनएएसी मूल्यांकन और एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए भी प्रेरित और निर्देशित किया गया.