उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति और धर्म का महत्वपूर्ण रोल होता है. पार्टियां इसी के आसपास अपनी रणनीति बनाते हैं. इसका असर परिणाम में भी देखा जाता है. साल 2011 की जनगणना में उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 20 करोड़ दर्ज की गई थी. इनमें मुसलमानों की आबादी करीब 4 करोड़ है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में हिंदू वोट बैंक के बरक्श मुसलमान एक बहुत बड़ा वोट बैंक और फैक्टर हैं. उत्तर प्रदेश में बीजेपी जैसे-जैसे बड़ी होती गई, वैसे-वैसे विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की संख्या कम होती चली गई. एक तरफ 2012 में जहां 64 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, वहीं दूसरी ओर 2017 में केवल 25 मुसलमान ही विधानसभा पहुंच पाए.


किसको वोट देते हैं मुसलमान


उत्तर प्रदेश के मुसलमान पहले कांग्रेस को वोट देते थे. लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से वो उससे दूर होते चले गए. वो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में बंट गए. अभी वो बड़ी संख्या में इन्हीं दो पार्टियों को वोट करते हैं. लेकिन हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम अब इसमें हिस्सेदारी के लिए जोर लगा रही है. एमआईएम ने 2017 का चुनाव 38 सीटों पर लड़ा था. उसे 2 लाख 4 हजार 142 वोट मिले थे. इस बार उसने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. 


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बीजेपी धर्म की राजनीति करती आई है. वह हिंदू मुसलमान की बात कर वोटों का बंटवारा करा देती है. वहीं यूपी में योगी आदित्यनाथ के रूप में उसके पास एक ऐसा चेहरा है, जो हिंदुत्व को जीता है. इसका उसे फायदा भी हुआ है. उसे वोटों के ध्रुवीकरण में आसानी होती है. वह मुसलमानों को उम्मीदवार भी नहीं बनाती है.


वोटों का ध्रुवीकरण


इसे देख विपक्षी दल नई रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. माना जा रहा है कि वोटों के विखराव और ध्रुवीकरण की काट में विपक्षी दल मुसलमानों को टिकट देने में कोताही बरतें. समाजवादी पार्टी इस दिशा में आगे बढ़ते हुए भी दिखाई दे रही है. बीजेपी ने 2017 में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण और दलित-पिछड़े वोट बैंक में सेंध लगाकर 300 से अधिक सीटें जीत ली थीं. लेकिन इस बार विपक्ष उसे उसके ही हथियार से मात देने की कोशिश कर रहा है. 


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साल 2017 में विधानसभा चुनाव में 25 मुसलमान विधायक चुने गए थे. इसमें सपा के टिकट पर 17, बसपा के टिकट पर 6 और कांग्रेस के टिकट पर 2 मुसलमान विधायक बने थे. सपा ने 67 और बसपा ने 97 मुसलमानों को टिकट दिए थे. वहीं इससे पहले 2012 में सपा के टिकट पर 41, बसपा के टिकट पर 15 और पीस पार्टी के टिकट पर 2 मुसलान विधायक चुने गए थे. अब यह परिणाम ही बताएगा कि 2022 में कितने विधायक विधानसभा पहुंच पाते हैं.