MP Bhanu Bratap Verma Profile: उत्तर प्रदेश में अगले साल यानी 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है. मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में भी सबसे ज्यादा जोर यूपी पर रहा. मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में जालौन से सांसद भानु प्रताप वर्मा को मंत्री बनाया गया है. भानु प्रताप वर्मा ने अपना सियासी सफर 1991 में कोच विधानसभा सीट से बतौर विधायक से शुरू किया था. 


लोगों के बीच है पकड़
भानु प्रताप वर्मा कोरी समाज से ताल्लुख रखते हैं और इनकी अपने समाज में अच्छी खासी पकड़ है. 1996 में जालौन की लोकसभा सीट जालौन-गरौठा नाम से थी जिसमें 4 विधानसभा सीटें थी. उरई-जालौन विधानसभा, कालपी, माधौगढ़ और कोच विधानसभा. चारों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. 1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भानु प्रताप वर्मा को जीत मिली और पहली बार वो सांसद बने.


पांच बार मिली जीत
1998  के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भानु प्रताप वर्मा दूसरी बार विजयी हुए. 2004 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भानु प्रताप वर्मा ने जीत हासिल कर बीजेपी का परचम लहराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भानु प्रताप वर्मा फिर विजयी हुए और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में भानु प्रताप वर्मा को दोबारा जीत मिली. इस तरह कुल 5 बार इस सीट से वर्मा सांसद चुने गए. 


जालौन के लोगों के लिए गर्व की बात
जालौन वासियों के लिए ये गर्व की बात है कि इस इलाके के सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. दरसअल, कानपुर और झांसी के मध्य में स्थित जालौन बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे पिछड़ा जिला माना जाता है. उद्दालक ऋषि की तपोभूमि और राजा माहिल की नगरी उरई, जालौन जिले का मुख्यालय है.


दस्यु समस्या से ग्रसित रहा है इलाका 
आजादी कि लड़ाई में भी यहां के रणबाकुरों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. आजादी के बाद से ही दस्यु समस्या से ग्रसित रहा जालौन विकास से कोसों दूर हैं. ग्रामीण इलाका यमुना और चंबल के बीहड़ों में फैला है. हालांकि, पिछले 10 वर्षों से यहां दस्यु समस्या से निजात जरूर मिल गई है. सभी बड़े गिरोह के सदस्य या तो मुठभेड़ में मारे गए या उन्होंने खुद समर्पण कर दिया. लेकिन, अब जनता को उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद यहां के जनप्रतिनिधि इलाके का समुचित विकास करा पाएंगे. 


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