UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने की तैयारियां तेज हो गई हैं. यूसीसी के तहत पंजीकरण प्रक्रिया और अधिकारियों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. यदि किसी आवेदन पर समयबद्ध कार्रवाई नहीं होती, तो मामला खुद ही वरिष्ठ अधिकारी के पास चला जाएगा. इसके साथ ही, अपील प्रक्रिया को भी सुगम और समयबद्ध बनाया गया है. यूसीसी लागू होने से नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी.

यूसीसी के तहत पंजीकरण और सत्यापन प्रक्रिया के लिए हर स्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है. यदि कोई व्यक्ति सब रजिस्ट्रार के पास आवेदन करता है और 15 दिन के भीतर कोई कार्रवाई नहीं होती, तो आवेदन खुद ही रजिस्ट्रार के पास चला जाएगा. इसके बाद भी कार्रवाई न होने पर यह मामला रजिस्ट्रार जनरल के पास पहुंच जाएगा.

15 दिन में सामान्य आवेदन की जांच करेंगे सब रजिस्ट्रारऐसे में सब रजिस्ट्रार को सामान्य आवेदन की जांच 15 दिन में और तत्काल आवेदन की जांच तीन दिन में करनी होगी. वही रजिस्ट्रार की भूमिका सब रजिस्ट्रार की निष्क्रियता पर आवेदन की जांच कर प्रमाणपत्र जारी करना या अस्वीकार करना. रजिस्ट्रार जनरल रजिस्ट्रार की निष्क्रियता पर जांच करेगा और अंतिम निर्णय लेगा. यदि सब रजिस्ट्रार या रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता, तो आवेदक ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है. इसके अलावा, सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है. रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास 30 दिन के भीतर अपील की जा सकती है. अपील का निपटारा 60 दिन में करना अनिवार्य होगा.

यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण को भी स्पष्ट नियमों के तहत लाया गया है. जिनमें 26 मार्च 2010 से संहिता लागू होने की तिथि के बीच विवाह छह महीने के भीतर पंजीकृत करना होगा. संहिता लागू होने की तिथि के बाद विवाह की तिथि से 60 दिन के भीतर पंजीकरण अनिवार्य है. इसके अलावा विदेश यात्रा जैसे मामलों में तीन दिनों के भीतर पंजीकरण किया जाएगा. तलाक, विवाह विच्छेद या विवाह शून्यता की स्थिति में, आवेदन के साथ अदालत का आदेश, बच्चों का विवरण और अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करना होगा. यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पूरी की जा सकेगी.

समय पर आवेदन का निपटारा न करने पर होगी कार्रवाईयूसीसी पूरे उत्तराखंड में लागू होगा, साथ ही उत्तराखंड के बाहर रहने वाले निवासियों पर भी यह प्रभावी रहेगा. हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 342 और 366(25) के तहत अनुसूचित जनजातियों और प्रथागत अधिकार वाले व्यक्तियों पर यह लागू नहीं होगा. यदि अधिकारी समय पर आवेदन का निपटारा नहीं करते, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. इसके साथ ही नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा. गलत जानकारी पाए जाने पर अभिभावकों या संबंधित व्यक्तियों को सूचित किया जाएगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में एसडीएम और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (सब रजिस्ट्रार की शक्ति होगी). शहरी क्षेत्रों में नगर पालिका और पंचायत में एसडीएम और कार्यकारी अधिकारी. नगर निगम में नगर आयुक्त और कर अधीक्षक.छावनी क्षेत्र में सीईओ और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर. इसके साथ ही समय पर आवेदन न करने पर विलंब शुल्क या जुर्माना जमा देना होगा. इसके साथ ही मांगी गई जानकारी निर्धारित समय में देना भी अनिवार्य होगा. और किसी भी जानकारी में बदलाव होने पर उसे ऑनलाइन अपडेट करना.

यूसीसी में ऑनलाइन पंजीकरण को प्रमुखतायूसीसी के तहत पंजीकरण प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया गया है. हर स्तर पर जवाबदेही तय की गई है, जिससे आवेदकों को समय पर सेवाएं मिलें. यह सुनिश्चित किया गया है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों में निष्क्रियता न दिखाएं. यूसीसी में ऑनलाइन पंजीकरण और शिकायत प्रणाली को भी प्रमुखता दी गई है. आवेदक घर बैठे अपने आवेदन की स्थिति जान सकता है. इसके लिए अपील भी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दायर की जा सकेगी. शादी के प्रमाणपत्र और तलाक से संबंधित दस्तावेज भी ऑनलाइन उपलब्ध होंगे.

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. हर स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय होने से आवेदकों को समय पर सेवाएं मिलेंगी. अपील और शिकायत प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो. यूसीसी का उद्देश्य न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत बनाना है, बल्कि नागरिकों और प्रशासन के बीच विश्वास बढ़ाना भी है.

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