1 October History First Postcard Released: पुराने जमाने में पोस्टकार्ड एक जगह से दूसरे जगह संदेश भेजने का बहुत अहम माध्यम हुआ करता था. पोस्टकार्ड भारत के सामाजिक साहित्यिक, धार्मिक, राजनीतिक और स्वतंत्रता आंदोलन का गवाह रहा है. आज की युवा पीढ़ी के सामने एहसास को शब्दों में उकेरकर भेजने का विकल्प ईमेल, एसएमएस, टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और फेसबुक है. इंटरनेट और सोशल मीडिया दौर में भी पोस्टकार्ड का क्रेज कम नहीं हुआ है. आज के दिन यानी 1 अक्टूबर का इतिहास पोस्टकार्ड से जुड़ा है.

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154 साल का सफर पोस्टकार्ड ने किया पूरा

पोस्टकार्ड ने 154 साल का शानदार सफर पूरा कर लिया है. वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि दुनिया का पहला पोस्टकार्ड 1 अक्टूबर 1869 को ऑस्ट्रिया में जारी किया गया था. उन्होंने बताया कि आज भी संदेशों और भावनाओं को एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए पोस्टकार्ड का सहारा लिया जा रहा है. पोस्टकार्ड का क्रेज सोशल मीडिया के दौर में भी कम नहीं हुआ है. इस साल अब तक 1 .29 लाख पोस्टकार्ड बेचे जा चुके हैं. पिछले साल 2.12 लाख पोस्टकार्डों का इस्तेमाल लोगों ने किया था. 

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 डाकघर में 4 प्रकार के मिलते हैं पोस्टकार्ड 

उन्होंने बताया कि डाकघर में चार अलग-अलग प्रकार के पोस्टकार्ड मिलते हैं. मेघदूत पोस्टकार्ड, सामान्य पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पोस्टकार्ड और कंपटीशन पोस्टकार्ड शामिल का दाम 25 पैसा, 50 पैसा, 6 रुपया और 10 रुपया तय किया गया है. कंपटीशन पोस्टकार्ड फिलहाल बंद कर दिया गया है. चारों पोस्टकार्ड की लंबाई 14 सेंटीमीटर और चौड़ाई 9 सेंटीमीटर होती है. पोस्टकार्ड में एक तरफ पता लिखने के लिए जगह खाली रहता है और दूसरी तरफ संदेश लिखने के लिए जगह छोड़ा जाता है. कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में पोस्टकार्ड की समृद्ध विरासत को संभाले रखना अच्छे संकेत देता है.

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