UP News: उत्तर प्रदेश के किसानों को समय पर और उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार पूरी तरह से सतर्क हो गई है. प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को लोक भवन में मीडिया से बातचीत में बताया कि पूरे प्रदेश में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है. सभी 75 जिलों में 25.74 लाख मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है. फिर भी यदि कोई खाद को ऊंचे दामों पर बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.

कृषि मंत्री ने बताया कि 22 और 23 जून को लखनऊ, सीतापुर, बलरामपुर और कुशीनगर जैसे जिलों में अचानक छापेमारी की गई. कई दुकानों पर रेट लिस्ट नहीं मिली बिक्री रजिस्टर में गड़बड़ियां थीं और किसानों से ज्यादा कीमत वसूलने के प्रमाण भी मिले. लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र में दो विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द कर एफआईआर दर्ज की गई. वहीं सीतापुर के सिधौली और सांडा क्षेत्रों में दुकानदार ताले लगाकर भाग गए. इन दुकानों को सील कर सैंपल लिए गए हैं.

सीतापुर में अधिकारियों पर कार्रवाई

सबसे बड़ी कार्रवाई सीतापुर में जिला कृषि अधिकारी पर हुई. मार्च से अब तक निरीक्षण न करने के कारण मंत्री ने अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. प्रदेश सरकार ने किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी है. कुशीनगर और बलरामपुर के किसानों ने मोबाइल पर शिकायत की थी कि उन्हें यूरिया और जिंक ऊंचे दामों पर दी जा रही है. इन मामलों में एफआईआर दर्ज कर विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए हैं.

कृषि मंत्री ने बताया कि अब खाद की बिक्री खतौनी के आधार पर ही होगी. रसीद देना और दुकान पर रेट लिस्ट लगाना अनिवार्य होगा. जो विक्रेता मुख्य खाद के साथ कोई अन्य उत्पाद जबरन बेचेंगे उनके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

अब केवल सक्रिय रिटेलर ही बेचेंगे खाद

प्रदेश में अब तक 1.07 लाख लाइसेंसधारी खाद विक्रेता थे जिनमें से 23 हजार से अधिक नॉन-फंक्शनल लाइसेंस हटा दिए गए हैं. अब केवल सक्रिय रिटेलर ही खाद का कारोबार कर सकेंगे.

योगी सरकार रासायनिक खादों के संतुलित उपयोग पर भी ध्यान दे रही है ताकि जमीन की उर्वरता बनी रहे. सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता की खाद समय पर और सही दाम पर मिले और कोई भी व्यापारी उनकी मजबूरी का फायदा न उठा सके. कालाबाजारी ओवररेटिंग और टैगिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी. यह कदम प्रदेश सरकार की डबल इंजन नीति का हिस्सा हैं जिसका मकसद है कि गांव गरीब और किसान को राहत मिले और कृषि व्यवस्था पारदर्शी और जवाबदेह बने.