सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर अंतरिम आदेश पर सियासी प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. इसी क्रम में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर JPC के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा है कि जिन प्रावधानों पर अदालत ने रोक लगाई है उस पर सरकार विचार करेगी.
उन्होंने कहा कि कुछ प्रावधानों पर कोर्ट ने रोक लगाई है. सरकार उसपर विचार करेगी. जहां तक पांच साल तक इस्लाम का पालन करने की बात है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल हम इस पर रोक लगा रहे हैं, जब तक कि स्टेट इस पर कोई नियम नहीं बना देता.
उत्तर प्रदेश स्थित डुमरियागंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद पाल ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से पहले इस पर लोकसभा और राज्यसभा में 14 घंटे चर्चा हुई. 6 महीने तक जेपीसी में सभी दलों के सदस्यों ने चर्चा की, ऐसे में यह तो तय है कि कानून वैध है.
समिति ने अपनी सिफ़ारिशें प्रस्तुत कीं- पाल
बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से संशोधन विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया. सभी दलों के सांसदों वाली इस समिति ने छह महीने तक देश भर के विभिन्न हितधारकों, जिनमें वक्फ बोर्ड, शिया सुन्नी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी और अन्य संस्थाएँ शामिल हैं, के साथ विचार-विमर्श किया. देशव्यापी व्यापक विचार-विमर्श के बाद, समिति ने अपनी सिफ़ारिशें प्रस्तुत कीं, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया.
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप संसद के दोनों सदनों में दोपहर से देर रात तक अभूतपूर्व रूप से लंबी बहस हुई. पारित कानून प्रत्येक व्यक्ति को उन संवैधानिक अधिकारों को प्रदान करता है जो पहले विवादित थे, और कांग्रेस यूपीए सरकार के दौरान संविधान के अनुच्छेद 370 को दरकिनार करने वाले धारा 40 के तहत 2013 के संशोधन जैसे मुद्दों को सुधारता है. इस संवैधानिक रूप से सुदृढ़ कानून को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने की उम्मीद है.
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उधर, समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने कहा, यह एक अंतरिम फैसला है.सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह कानून एक खास इरादे से लाया गया था, जो गलत और अन्यायपूर्ण था. अगर फैसला देर से आता, तो बहुत नुकसान पहले ही हो चुका होता.सभी को अदालत पर भरोसा रखना चाहिए कि अंतिम फैसला सभी को न्याय दिलाएगा.