UP News: उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले संगठन में एक बड़ा बदलाव किया है. पार्टी ने यहां संगठन महामंत्री के रूप में धर्मपाल सिंह को नई जिम्मेदारी दी है. वहीं बीते आठ सालों से इस जिम्मेदारी को निभा रहे सुनील बंसल का अब प्रमोशन हो गया है. उन्होंने बीजेपी ने तीन राज्यों की जिम्मेदारी दी है. लेकिन माना जा रहा है कि धर्मपाल सिंह की राह यूपी में बिल्कुल आसान नहीं होने वाली है, इसके पीछे कई वजह है.


दरअसल, साल 2014 से यूपी में बीजेपी ने सुनील बंसल को संगठन महामंत्री बना रखा था. इस दौरान उन्होंने यहां बीजेपी के संगठन को संजीवनी देने का काम किया है. यहां बीजेपी ने 24 सालों के वनवास को खत्म कर राज्य में सरकार बनाई. इससे पहले बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज करते हुए राज्य की 80 में से 73 सीटें जीती. विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी गठबंधन ने 403 सीटों में से 312 सीटों पर जीत दर्ज की. 


सुनील बंसल ने मनाया अपना लोहा
इसके बाद जब 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने का बात सामने आई तो एक बार फिर से सुनील बंसल ने खुद को साबित किया. तब यूपी में बीजेपी के मुख्य विपक्षी दल बसपा और सपा ने गठबंधन किया तो यहां राजनीतिक के जानकार कहने लगे की अब राज्य में बीजेपी के लिए पिछले प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल होगा. लेकिन एक बार फिर बीजेपी गठबंधन ने यूपी में 80 में से 65 सीटों पर जीत दर्ज की. इसके बाद बारी विधानसभा चुनाव 2022 में साबित फिर से खुद को साबित करने की थी.


विधानसभा चुनाव 2022  में सुनील बंसल के लिए हर बार से अलग चुनौती थी. एक ओर पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन ने बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थी. जबकि दूसरी ओर पूर्वांचल में जातिगत मोर्चे पर बीजेपी के खिलाफ गोलबंदी सपा गठबंधन ने कर रखी थी. इसके अलावा कानून व्यवस्था और लखीमपुर खीरी की घटना ने चुनौती को बढ़ा दिया था. लेकिन सुनील बंसल एंड टीम ने एक बार फिर अपना लोहा मनवा दिया. तब बीजेपी गठबंधन ने राज्य में 275 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई. ऐसे में देखा जाए तो आठ सालों में चार बार सुनील बंसल ने यहां अपनी धाक दिखाई. 


इन फैक्टर्स पर देना होगा ध्यान
अब धर्मपाल सिंह को यूपी में सुनील बंसल की जगह जिम्मेदारी दी गई है. माना जा रहा है कि धर्मपाल सिंह के लिए राहें मुश्किलों से भरी होंगी और बीते चुनावों के प्रदर्शन को दोहरा पाने की चुनौती का अलग दबाव होगा. लोकसभा चुनाव 2024 में अब दो साल से भी कम का वक्त बचा हुआ है. यूपी में बीजेपी ने अपनी रणनीति को अमल में लाने का काम भी शुरू कर दिया है. इसी बीच संगठन में बदलाव कर बीजेपी ने धर्मपाल सिंह को बड़ी जिम्मेदारी दे दी है.


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इस बार बीजेपी के खिलाफ कई मुद्दे भी हैं, जबकि एंटी इनकंबेंसी एक अलग फैक्टर होगा. वहीं स्थानीय स्तर पर बीजेपी सांसदों के विरोध को रोकना और उससे निपटना एक अलग चुनौती होगी. इसके अलावा विधानसभा चुनाव में एक और बड़ी बात सामने आई थी. तब बताया गया था कि ओबीसी का एक बड़ा तबका बीजेपी से खुश नहीं है. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इस बात को पार्टी ने भी स्वीकार किया था. कहा गया कि इसके लिए बीजेपी ने अलग से प्लान के तहत काम किया है. लेकिन अब ये फैक्टर किस तरह से अगले लोकसभा चुनाव में अपना प्रभाव दिखाएगा, ये भी देखने वाली बात होगी.


धर्मपाल सिंह के लिए चुनौतियां
इन सब बातों के अलावा विधानसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन पूर्वांचल में खराब रहा, ऐसे में यहां लोकसभा चुनाव में फिर से पुराने प्रदर्शन को दोहराना धर्मपाल सिंह के लिए नया अनुभव होगा. यूपी में इस बार फिर से जातिगत गोलबंदी को तोड़पाना भी एक चुनौती है. क्योंकि बीते दिनों में दिनेश खटीक के इस्तीफे वाले विवाद ने पार्टी मुश्किलों में डाल दिया था. तब विपक्ष ने सरकार पर ओबीसी और दलितों को लेकर काफी सवाल उठाए. इसके अलावा ट्रांसफर वाले विवाद ने भी सवाल खड़े किए थे. 


इन सब के अलावा अगर किसानों की बात की जाए तो यहां एमएसपी समेत कई मुद्दे बीजेपी के सामने होंगे. वहीं राकेश टिकैत का बीजेपी के खिलाफ जुबानी हमला और फिर से आंदोलन की बात कहना कितना प्रभाव डाले का और उसके खिलाफ पार्टी के लिए रणनीति तैयार करना धर्मपाल सिंह के लिए बड़ी मुश्किलें होने वाली हैं. इसके अलावा इस बार आरएलडी भी सपा गठबंधन के साथ है, जिससे पश्चिमी यूपी में बीजेपी के खिलाफ सपा गठबंधन को फायदा होने की उम्मीद है. लेकिन बीजेपी के लिए राहत की बात ये है कि विधानसभा चुनाव में इसी इलाके में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा है.


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